तभी अचानक मेरे अंदर का पति जाग गया और बिना कुछ किये मैं झट से शावर से बाहर आ गयी। अपने लंबे काले गीले बालो को आदतन रगड़ रगड़ कर टॉवल से पोंछने लगी। पर जैसे मेरे हाथों का अपना खुद का दिमाग चल पड़ा और वो फिर धीमे धीमे टॉवल से दबा कर बालों को सुखाने लगे। और फिर सामने झुक कर झट से सर उठा कर मैंने बालों को झटक कर बाल सीधे किये। इस दौरान मेरे स्तन ज़ोर से हिल पड़े। एक औरत बनने की मादकता मुझ पर भारी पड़ रही थी। रह रह कर अपने नए शरीर से खेलने का मन कर रहा था। किसी तरह कुछ करके मैं बाहर निकली।
बाहर परिणीता अपने घुटनो को पकड़ कर उसमे सिर छुपाये उदास बैठी थी। मेरे लिए अजीब सी स्थिति थी। सामने परिणीता मेरे पुराने पुरुष शरीर में थी। मेरे बाहर आने की आवाज़ सुनकर उसने सिर उठाया और मेरी ओर देखा। उसकी वो आँखें तो मेरी थी पर उसमे गुस्सा परिणीता का साफ़ झलक रहा था जिसे देख कर मैं समझ गयी कि मैंने कुछ गलती कर दी है।
“प्रतीक!!!”, वो मुझ पर चीख पड़ी। “यह क्या तरीका है? तुम पागल हो गए हो! टॉवल कोई ऐसे ब्रेस्ट्स के निचे लपेटता है?जल्दी से ब्रेस्ट्स पर से लपेटो!”
मैंने अपने लड़के वाली आदत अनुसार कमर के निचे टॉवल लपेटा था। जल्द से मैंने अपने स्तनों को ढका। चूँकि मैंने अपना टॉवल उपयोग किया था, उसकी लंबाई थोड़ी छोटी थी और मेरी कमर के नीचे का हिस्सा अब दिख रहा था।
मैं आगे कुछ कह पाती उसके पहले ही परी मुझ पर भड़क पड़ी, ” यह क्या है? तुमने अपना लड़को वाला अंडरवियर पहन लिया है!”
“पर परी! मैं तुम्हारी पेंटी कैसे पहन सकता हूँ? तुम्हे पसंद नहीं कि मैं कोई भी लड़कियों वाले कपडे तुम्हारे सामने पहनू। “, मैंने ईमानदारी से जवाब दिया क्योंकि सचमुच परी को यह पसंद नहीं था।
“तुम भूल रहे हो कि तुम मेरे शरीर में हो! मेरे शरीर को मेरे कपडे पहनाओ!”
“तो क्या तुम भी अब मेरे लड़को वाले कपडे पहनोगी?”, मैंने पूछा।
“हाँ! मैं अपनी ड्रेसेस तुम्हारे शरीर पर चढ़ा कर निकलूंगी तो दुनिया तो हम पर हँसेगी ही और मेरी ड्रेसेस भी ख़राब हो जाएगी! क्या तुम्हारे पास ज़रा भी अक्ल नहीं है? और किसने तुम्हे मेरे बालों को धोने कहा था। मैंने कल ही तो धोये थे। और देखो कैसे तुमने उन्हें गूँथ दिया है। मैंने इतने प्यार से संभाल कर इन्हें लंबा किया और तुम इन्हें एक दिन में ख़राब कर दोगे।” परिणीता की बात तो सच थी। मुझे भी लग रहा था कि मुझे बालों को इस तरह रगड़ रगड़ कर नहीं पोंछना चाहिए था। पर मेरे पास औरत होने का अनुभव न था।
“चलो, अब जल्दी से सही कपडे पहनो।”, गुस्से में परिणीता बोली।
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