सुबह के 9:00 बज गए थे। संध्या अपना ब्रेकफास्ट कर बिस्तर ठीक कर रही थी और इस दरमियान रात को बिताए गए राजीव के साथ खूबसूरत पल उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ला रहे थे। उसने तकिए ठीक से रखे ही थे कि इतने में उसके मोबाइल पर घंटी बजने लगी। चादर की घड़ी बनाने के बाद उसने जब स्क्रीन को देखा…
मोबाइल स्क्रीन पर अक्षरा नाम आ रहा था। जिसे देखते ही संध्या थोड़ी सहम सी गई। शायद उसे लगा नहीं था कि अक्षरा इस वक्त उसे फोन करेगी। मोबाइल को हाथ में लिए वह तय नहीं कर पा रही थी कि अक्षरा का कॉल लिया जाए या नहीं। पर फिर भी उसने मन ही मन कुछ सोचकर आखिरकार अक्षरा का कॉल ले लिया।
” हेलो अक्षरा…! ”
” हाय संध्या…! कैसी हो…? ”
” मैं ठीक हूं अक्षरा, तुम कैसी हो…? ” ( संध्या ने धीमी आवाज में कहा…)
भले ही संध्या ने औपचारिकता के तौर पर अक्षरा से उसके हालचाल के बारे में पूछा था पर बातों बातों में ही उसका अक्षरा के साथ बात करते वक्त संकोच साफ झलक रहा था।
” मैं भी ठीक हूं संध्या…! कई दिनों से तुमसे बात करना चाहती थी पर तुम बिजी होगी यह सोचकर चुप रही। ”
” कोई बात नहीं अक्षरा, मैं फिलहाल बिल्कुल फ्री हूं। बताओ क्या कहना चाहती थी….”
” राजीव कैसा है…? ”
” राजीव बिल्कुल ठीक है। अभी कुछ देर पहले काम पर चला गया है। ”
” अच्छा…! ”
( कुछ देर चुप रहने के बाद अक्षरा ने मुद्दे पर आना शुरू कर दिया। )
” राजीव तुम्हें खुश तो रख रहा है ना…? ”
संध्या पहले से ही अक्षरा से बात करने के लिए झिझक रही थी उसमें अब उसकी निजी जिंदगी के बारे में सवाल पूछने के बाद संध्या थोड़ी शर्मिंदा सी हो गई। पर कुछ देर चुप्पी थामने के बाद उसने कहा…
” बहुत…! राजीव मुझसे बहुत प्यार करता है। ”
संध्या के इस जवाब से अक्षरा को खुश होना चाहिए था और वह थी भी। पर अंदर ही अंदर उसे थोड़ा दुख भी हो रहा था। और शायद इसी दुख के कारण उसके मन की असली बात आखिर बाहर आ ही गई…
” तुम भी राजीव से बहुत प्यार करती हो ना…? ”
” हां अक्षरा, बहुत ज्यादा…! ”
” और मुझसे…? ”
अक्षरा के ऐसे अजीब सवाल से संध्या भी थोड़ी असमंजस में पड़ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अक्षरा को क्या कहे। भले ही वो अब राजीव की पत्नी थी पर कहीं ना कहीं वह अक्षरा से भी जुड़ी हुई थी। अक्षरा के इस सवाल के साथ ही उसके जहन में वह सब पल आंखों के सामने आने लगे जो उसने अक्षरा के साथ निभाए थे।
संध्या को कुछ नाम बोलते देख अक्षरा ने अपनी बात का मजाक बनाते हुए कहा…
” कहां खो गई संध्या…? मैं तो मजाक कर रही थी…! भले ही तुम बताने में शर्माओ पर मैं जानती हूं कि तुम अभी भी मुझसे उतना ही प्यार करती हो जितना कि पहले करती थी। ”
” तुम भी ना अक्षरा हर बार ऐसे अजीब अजीब सवाल पूछती हो कि क्या जवाब दूं समझ ही नहीं आता..! ”

(संध्या ने शर्माते हुए कहा क्योंकि अक्षरा संध्या को अच्छी तरह समझती थी। आखिर 3 साल दोनों ने एक साथ जो गुजारे थे। इस बार भी अक्षरा ने संध्या की दिल की बात उसके सामने बयां की थी)
” चलो ज्यादा शरमाओ मत। यह बताओ कि तुम और राजीव मेरे घर कब आओगे…? ”
” मैं आज ही राजीव को बताऊंगी। वह जब कहेंगे तब आ जाएंगे हम दोनों। ”
” ठीक है, पर याद रखना आते वक्त साड़ी पहन कर आना। कब से मेरी आंखें तुम्हें साड़ी पहनकर देखने में तरस रही है। ” (अक्षरा ने संध्या को चिढ़ाते हुए कहा)
” ठीक है। ” (संध्या ने शर्माते हुए धीमी आवाज में कहा)
उसने ज्यादा कुछ नहीं बोला क्योंकि वह जानती थी कि अक्षरा ने खासकर साड़ी का जिक्र क्यों किया था। यह 2 साल पुरानी बात है जब पहली बार अक्षरा ने संध्या को साड़ी में देखा था। शायद यह आपको कोई आम बात लग रही होगी पर मैं आपको बता दूं कि संध्या उस वक्त एक आदमी हुआ करती थी। और उसी के साथ वह अक्षरा का पति भी थी।
जब अक्षरा को संध्या के साड़ी पहनने के पीछे की मानसिकता पता चली तब उसने संध्या के साथ रिश्ता तोड़ने का फैसला किया। भले ही दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे पर दोनों को पता था कि कहीं ना कहीं दोनों जीवन में हमेशा असंतुष्ट रहेंगे इसलिए दोनों के तलाक लेने के बाद संध्या ने अपना सेक्स चेंज ऑपरेशन करवा लिया और जल्दी ही राजीव से शादी कर ली। इसी तरह अक्षरा ने भी दूसरी शादी कर ली।
तलाक लेकर, संध्या के सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाने के बाद दोनों के बीच थोड़ी दूरी आ गई। खासकर संध्या थोड़ी ज्यादा ही। उसका पूरा शरीर बदल चुका था। उसके सीने पर अक्षरा से ज्यादा बड़े स्तन आ गए थे। उसके नितंब भी अक्षरा से काफी बड़े थे। जिस कारण से उसे अक्षरा के सामने आने में शर्म आ रही थी। पूरी तरह औरत बनने के बावजूद शायद वह कहीं ना कहीं अक्षरा के सामने खुद को एक पति के रूप में ही पाती थी। इसीलिए खुद को अक्षरा के सामने नहीं ला पाती थी। कर आगे जाकर आखिरकार दोनों एक दूसरे से मिल ही गए। और उसी दिन से दोनों के बीच की यह दूरियां थोड़ी थोड़ी कम होती गई।
समाप्त।
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