किसने सोचा था..! स्कूल में छिछोरापंती करने वाला, लड़कियों के बाल खींचकर उन्हें परेशान करने वाला आज इस हालत में हो सकता है…?
शायद यही बात अमर के जहन में इस वक्त चल रही थी। जहां वो पहली बार अपने घरवालों से इस रूप में मिलने के लिए तैयार बैठा था। जी हां, ये वही अमर है जो स्कूल में लड़कियों को उनके बाल खींचकर, उनकी स्कर्ट ऊपर कर, उन्हें लड़की होने पर नीचा दिखाता था। जो समय समय पर उनपर लडकों की ताकत आजमाकर उन्हें कमजोर कहकर उनकी इज्जत को हाथ लगाता था।
तोह फिर ऐसा क्या हुआ उसके साथ जो वो आज खुद लड़की बनकर सज धजकर बैठा हुआ था…?

दरअसल इसका कारण अमर खुद था..! जी हां, बात तब की है जब उसका लड़की को छेड़ने का छिछोरापन इतना बढ़ गया कि उसने एक दिन एक लड़की (श्रद्धा) के साथ जोर जबरदस्ती की कोशिश की। लेकिन किसी आम लड़की के मुकाबले श्रद्धा बहोत ही अमीर खानदान की थी। इसलिए उसने तुरंत अपने माता पिता से अमर के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाने की मांग की। जिसे देख श्रद्धा की मम्मी ने अमर को सबक सिखाने के लिए एक ऐसा उपाय ढूंढा, कि उन्होंने एक शर्त रखी… जिसे सुन अमर के साथ उसके परिवार वाले भी इतने मजबूर हो गए कि उसके बचाव में कुछ ना कर सके।
वो शर्त थी… जोर जबरदस्ती और इज्जत लूटने के जुर्म में २० साल हवालात जाने की या फिर १० साल एक लड़की की तरह जीवन बिताने की।
अमर के लिए तोह आगे कुआं था और पीछे खाई। लेकिन २० साल हवालात में बिताने से अच्छा लड़की बनकर खुली दुनिया में रहना परीवाल वालों को ठीक लगा इसलिए उन्होंने दूसरी शर्त मजूर कि और अमर को उनके हवाले कर दिया।
अमर को ले जाने से पहले श्रद्धा के माता पिता ने अमर और उसके कम शिक्षित परिवार वालों से हस्ताक्षर लिए थे कि आगे अमर के साथ जो भी होगा वो उनके लिए मान्य होगा। जिसकी आड में उन्होंने अमर को एक ऐसी लड़की में परिवर्तित किया जो उनकी खुद की बेटी श्रद्धा से कई ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक थी।
श्रद्धा की माता खुद एक प्रोफेशनल प्लास्टिक सर्जन होने के कारण उन्होंने इसकी भनक किसी को लगने नहीं दी। यहां तक कि अमर के परिवार वालों को भी नहीं। जो घर बैठे यही सोच रहे थे कि अमर को सिर्फ लड़कियों के कपड़े ही पहनाए जाएंगे। जबकि उनका बेटा अब शरीर से भी लड़की बन चुका था।
ऑपरेशन के बाद जब अमर को एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हुआ है। उसकी पैरों तले मानो जमीन खिसक गई थी। अगले सिर्फ कुछ ही दिनों में उसके लड़कियों को लेकर विचार पूरी तरह बदल गए थे। उसे अब खुदपर शर्म आने लगी थी। उसे समझ आ चुका था कि उसने कौसनी गलतियां की थी।
आज भी श्रद्धा के घर पर उसके कमरे में साड़ी में तैयार होकर बैठे जहन में यही विचार आ रहे थे की काश वो समय पर खुद को रोक लेता..! खुद को समझा लेता कि ये सब गलत है। तोह शायद उसके साथ ये कभी ना होता।
उसे आज खुद समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने परिवार वालों से कैसे आंख मिला पाएगा। क्यूंकि अब वो पहले जैसा उनका नटखट, शैतान अमर नहीं था। वो अब लड़की बन चुका था जो अब साड़ी में लिपटकर बैठा था। जिसका शरीर किसी भी आम लड़की की तरह कटिला, घुमावदार और आकर्षक बन चुका था। जो अब पहले जैसे शर्ट पेंट नहीं पहन सकता था। क्यूंकि उसका शरीर अब लड़कियों के कपड़े पहनने के लिए विकसित हो चुका था।
उसे सोचकर शर्म आ रही थी कि जहां वो स्कूल में लड़कियों की ब्रा स्ट्रैप को खींचकर उन्हें परेशान करता था वहीं आज खुद ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनकर अपने स्तनों को उनसे सहारा दे रहा था। पहले लकड़ियों के लंबे बालों को खींचकर वो उनका मजाक उड़ाता था वहीं आज वो खुद अपने लंबे बालों का इस्तेमाल अपनी खूबसूरती बढ़ाने और अपनी क्लीवेज को ढकने के लिए कर रहा था।
अब आप ही बताइए अमर अब कैसे अपनी जिंदगी जिएगा…? जब उसके परिवार वाले उसे इस रूप में देखेंगे तोह उनपर क्या बीतेगी..?
क्या… अमर को सबक सिखाने के लिए उठाया गया ये कदम सही था..? या फिर किसी और तरीके से भी अमर को ठीक किया जा सकता था..!
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