संजु (16)

 ये कहानी है संजु के रिश्तों की. एक तरफ तो उसकी प्यारी माँ है जो न जाने क्यों संजु को लड़कियों की तरह रहने को प्रेरित करती है, और दूसरी ओर है ऋतु, जिससे संजु को प्यार है.

भाग १६: कुछ बातें


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अब आप सोच रहे होंगे कि इस कहानी में अब और रह क्या गया है? हम्म… कम से कम इतना बताना तो रह गया था कि शादी के बाद संजु और ऋतु दोनों ही अब गर्व से मंगलसूत्र पहनती है। और कुछ सालों में संजु की खूब तरक्की भी हो गई। और ऋतु ने एक प्यारे बेटे को जन्म दिया जिसे दो माँओं का प्यार मिलता है। कुछ समय बाद संजु के दोस्त विक्की की भी शादी हो गई। दोनों आज भी अच्छे दोस्त है।

आपका तो पता नहीं पर इस कहानी का आखरी भाग लिखना मेरे लिए बहुत भावुक पल रहा। शब्दों में उस भावना को पिरो सकी या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन अंत में पूरे परिवार के मिलने वाले सीन को लिखते वक्त मेरी आँखों में खुशी के आँसू आ गए थे। आप सभी के साथ इस कहानी के पीछे छिपी भावना के बारे में कुछ कहना चाहती हूँ। सिर्फ इसलिए यह लिख रही हूँ। आशा करती हूँ कि आप पढ़ेंगे।

6 दिसंबर २०१९ को शुरू हुई ये यात्रा पूरी करने में १ साल से कुछ अधिक समय लग गया और १,००,००० से अधिक शब्द। मेरा धन्यवाद आप सभी पाठक पाठिकाओं का जिन्होंने इतना प्रोत्साहन दिया और इस यात्रा में संयम के साथ इंतज़ार भी किया। मेरा धन्यवाद है अनु दीदी को जिनका प्रोत्साहन और एडिटिंग समय समय पर मिलती रही (और डांट भी)। अनु दीदी के ICN के बदौलत ही मेरी ये कहानी इतने लोगों तक पहुँच सकी। अन्यथा शायद पाठकों के अभाव में ये कहानी कभी पूरी न होती।

अंजली, प्रीति और हजारों पाठिकाओं ने जो कमेन्ट से उत्साहवर्धन किया उसके लिए भी मैं खुद को बहुत भाग्यवती मानती हूँ।

अब इस कहानी के बारे में भी बता देती हूँ – इस कहानी में XXY यानि एक एक्स्ट्रा X क्रोमज़ोम सिर्फ एक बहाना था इस कहानी में एक व्यक्ति के भीतर के द्वन्द को बताने का। वास्तव में तो हम सभी क्रॉसड्रेसर में यही द्वन्द २४ घंटे चलता रहता है भले हमारे पास वो एक्स्ट्रा X क्रोमज़ोम न हो। हमारे भीतर भी तो संजु की ही तरह एक सुंदर सी लड़की छिपी हुई है। इसके बाद भी शायद हम में से बहुत लोग है जिन्हे यदि उस लड़की को हमेशा हमेशा के लिए बाहर लाने का मौका मिले और शरीर परिवर्तन करने की छूट मिले तब भी हम वो कदम न ले सकेंगे क्योंकि जितनी वो लड़की हमे प्यारी है उतना ही प्यारा हमें वो लड़का भी है। कमी है तो बस हमारी अपनी स्वीकृति की।

आप सभी में कुछ पाठक ऐसे भी होंगे जिन्हे कभी अपने अंदर की लड़की को बाहर लाने का ठीक तरह से मौका भी न मिला हो इसलिए शायद वो हर पल मन-मस्तिष्क में छाई रहती है। पर किस्मत से मुझे जीवन में ऐसे कुछ महीने बीताने का मौका मिला था। मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था और पहले महीने तो बस साड़ियाँ, सलवार और नाइटी की दुनिया में मैं खो गई थी। पर फिर जैसे जैसे समय बीतता रहा, सब कुछ सामने होते हुए भी वो लड़की अब हावी नहीं रहती थी। सजना संवरना खुद ब खुद कम होता चला गया। लेकिन वो आजादी जिसमे मैं जब चाहे लड़की और जब चाहे लड़का बन जाऊँ, उसकी कीमत बहुत ज्यादा है। शायद उन कुछ महीनों में मैंने अपने अंदर के पुरुष और स्त्री के बीच का वो बैलन्स देख लिया था और समझ सकी थी कि मेरे लिए दोनों ही बराबर महत्व रखते है। शायद इसलिए तो हमारे अंदर एक X और एक Y क्रोमज़ोम है। न कम न ज्यादा। शायद स्त्री और पुरुष की पूर्णता का मिलन का एहसास एक क्रॉसड्रेसर ही अनुभव कर सकता है।

जो भी हो, संजु की कहानी को लिखने की इस यात्रा में मैंने यह भी सीखा है कि एक साफ सुथरी कहानी लिखना एक कठिन कार्य तो है पर उसके लिखने के बाद दिल में एक अलग ही खुशी मिलती है। संभवतः ऐसी रचनाओ को पाठकों से थोड़ा कम प्रोत्साहन मिलता है पर संजु की कहानी में आप सभी के प्रोत्साहन ने उस बात को झुठला दिया कि पाठकों को सिर्फ मसालेदार कहानियों में रुचि है। मैं अनु दीदी की बहुत ही आभारी हूँ क्योंकि कई बार मैं इस कहानी में कुछ भटकती भी रही थी पर उन्होंने हर बार मेरा हाथ थामा और कहानी को प्रकाशित न होने दिया। लेकिन उनके सहयोग से ही मैं इतना कुछ सीख सकी। और आज संजु की कहानी को उसके अंतिम मोड़ पर ले जाकर मेरा सीन गर्व से फुला हुआ है।

इसलिए मैं आप सभी पाठकों से विनती करती हूँ कि यदि आपको कोई ऐसी रचना मिले जिसे लेखिका ने बेहद साफ सुथरे ढंग से लिखा हो, तो उसे प्रोत्साहन जरूर दे। क्योंकि ऐसी रचनाएँ ही हमें अपने असली व्यक्तित्व की ओर ले जाती है।

एक आखिरी बात
जाने से पहले कुछ और भी कहना चाहती हूँ। इस कहानी के बाद अब शायद मैं दोबारा लंबी कहानी लिखने का प्रयास न कर सकूँगी। क्योंकि अब प्रोफेशनल ज़िंदगी ने मुझे इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि आप सभी पाठकों को इंतज़ार कराए बगैर मेरे लिए लिखना संभव नहीं है। कम से कम इस समय के लिए तो मैं इतना बता सकती हूँ कि संभवतः ICN के लिए यह मेरी आखिरी रचना है।

पीछले १-१.५ सालों में आप सभी ने मुझे इतना प्यार दिया परंतु अब मेरे लिए इस यात्रा को आगे बढ़ाना मुश्किल हो चला है। आगे के कुछ महीनों के लिए शायद मैं सिर्फ अन्य लेखिकाओं की कहानियाँ प्रकाशित करने में अनु दीदी की सहायता करूंगी। और उसके बाद क्या होगा कह नहीं सकती। बस इतना कहना चाहती हूँ कि आप सभी का दिया हुआ प्यार मैं कभी भूलूँगी नहीं। एक बार फिर – Thank you readers. Thank you ICN.

आप बस एक आखिरी बार अपने विचार व्यक्त कर मुझे कृतार्थ करे और मेरी इस मेहनत को सफल करे।

आप सभी की, श्रुति सिन्हा।

समाप्त

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