( ये एक काल्पनिक कथा है और इसका सत्य घटना से कोई लेना देना नहीं है। )
[ तो चलो कहानी को शुरू करते है, ये कहानी एक लड़के की है जिसे अपनी माँ की ख़ुशी पे ऐसा कदम उठाना पड़ा जसिकी उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, और फिर बादमे उसे धीरे धीरे उसकी आदत सी हो जाती है ]
___मेरा नाम गीतेश है। मैं १८ साल का कॉलेज छात्र हूँ। मेरे परिवार में मेरे माता-पिता और बड़ा भाई है। मेरा भाई मुझसे ५ साल बड़ा है। मेरी माँ एक लड़की चाहती थी तभी मेरा जनम हुआ। मेरी माँ गृहिणी है पिताजी सरकारी कर्मचारी है। मेरा भाई प्राइवेट बैंक में जॉब करता है और उसका दूरसे राज्य में तबादला हुआ है ५ साल तक उसे वही काम करना पड़ेगा। हम तीनो मुंबई में रहते है सब ठीक ठाक चल रहा था।
अचानक मम्मी एक दिन जोर जोर से मेरे ऊपर चिल्लाते हुए आयी जैसे घर पर आसमान टूट पड़ा हैं।
क्या हुआ माँ इतनी क्यों चिल्ला रही हो।
( आँखे बड़े करके देखते हुए ) तूने मेरे अलमारी से पैसे लिए है ना ?
नहीं तो।
मेरे अलमारी से दस हजार रुपये गायब है। तूने तो नहीं लिए फिर गए कहा।
चलो फिरसे से देख लेते है।
फिर हमने पूरी अलमारी छानी, कुछ नहीं मिला।
___माँ जैसे पागल हो गयी थी आधा महीना काटना था पिताजी की अगली तनख्वाह आने तक। तभी माँ ने भैया से थोड़े पैसे भेजने कहा और भाई ने तुरंत १० हजार ट्रांसफर करदिया और माँ ने मुझे एटीएम से निकालने कहा। श्याम को पिताजी घर आने पर माँ ने उसने ये बात कही। मेरी माँ थोड़ी भोली और कम पढ़ीलिखी है कुछ समस्या आने पर वो एक बाबा के पास जाती थी। मैं टोकता था इस बात पर पिताजी को भी इससे कोई आपत्ति नहीं थी।
___दूसरे ही दिन वो मुझे लेके बाबा के पास चली गयी। उन्हें पूरी बात बता दी, बाबा ने माँ से कहा की “आपका घर संकट में है, आपके अगले आनेवाले ३ महीने बहुत मुश्किल होंगे।” मेरी माँ भावुक हो गयी, माँ में बाबा से इसके कोई इलाज पूंछा।
मैं यहाँ ये सोच रहा था की “क्या एक्टिंग कर रहा है ये बंदा।”
बाबा बड़ी आवाज में “आपके घर की कुंवारी लड़की को देवी माँ की प्रार्थना करनी पड़ेगी जिससे ये संकट से देवी माँ अपने सर लें लेंगी और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा।”
आपके घर की कुवारी लड़की को ११ सोमवार श्रृंगार करके देवी की पूजा करनी होगी और पूरा दिन उपवास करके श्रृंगार में ही बिताना पड़ेगा।
बाबा मेरी कोई लड़की नहीं है मेरे २ बेटे है सिर्फ इसमें से ये एक है छोटा वाला।
( मेरी तरफ देखते हुए )
कोई बात नहीं तुम ये सब छोटे बेटे से भी करवा सकती हो।
माँ के चेहरे पे थोड़ी मुस्कुराहट आयी।
ये सुनके तो मेरे पैरो तले जमींन ही खिसक गयी। मैं अपनी माँ से छोटी सी आवाज में ” माँ ये सब क्या है ये इंसान झूंट कह है इनपर कोई विश्वास मर करना “
उसने तो जैसे मैंने कही बातों को सूना ही नहीं।
बाबा को दक्षिणा देके हम वहां से निकल गए। घर आने तक हमने एक दूसरे से एक शब्द भी नहीं कहा।
घर मे घुसते ही मैंने हल्ला मचाया क्या ढोंगी इंसान है मुँह में आये वो कहे जा रहा था।
बाबा के बारे में एक शब्द भो कहा तो तेरी खैर नहीं माँ ने कहा। आने वाले सोमवार को रेडी रहना।
ये सब मेरे से नहीं होने वाला माँ तुम कुछ भी करलो।
देख बेटा ऐसे नहीं कहते अपने परिवार के लिए तो करना पड़ेगा।
अरे माँ ये सब झूंट है कहके ( मैं घर से निकल गया )
शाम होने पर में घर आया पिताजी घर मे थे थोड़े परेशान दिख रहे थे।
क्या हुआ पापा आप इतने उदास दिख रहे हो।
अरे पता नहीं तेरी माँ रो रही है कुछ बता नहीं रही।
मैं बैडरूम में गया देखा की माँ बेड पर लेटके रो रही थी।
अरे मम्मी क्या हुआ क्यों रो रही हो ? ( कुछ कहने को तैयार नहीं थी )
कारण मुझे पता था उसका फुट फुट कर रोना मुझसे देखा नहीं जा रहा था। माँ के खातिर मैं बाबा ने कही बात करने के लिए तैयार हो गया।
” ठीक है मैं तैयार हूँ ” इतना कहने पर वो फटाक से उठ गयी।
सच बेटा ?
हाँ ये सब में सिर्फ आपके लिए कर रहा हूँ परन्तु मेरी कुछ शर्ते है की एक मेरे कॉलेज और दोस्तों को इसके बारे में नहीं पता चलना चाहिए और इस दिन किसको घर पर मत बुलाना बादमे मेरा मजाक ना बन जाये।
ठीक है।
____उस दिन के बाद माँ २ दिन बाद फिरसे बाबा के पास चली गयी उसे कुछ सवालो के जवाब चाहिए थे। घर आने की बाद माँ ने अपनी ब्लाउज सीने वाली को घर बुला लिया वो आने के बाद मुझे बुलाया और कहा की इसका नाप लेलो। में जैसे माँ कह रही थी वैसे करता गया। मैं साइज में माँ से थोड़ा दुबला था, नाप लेके माँ ने उनके ३ ब्लाउज टेलर को दे दिए और कहा इसके साइज में अल्टर कर देना उसने माँ को पूंछना चाहा की ये सब क्या है माँ ने उसे कहा बाद में बताती हूँ वो टेलर वहा से चली गयी।
____माँ और मैं शॉपिंग के लिए निकल पड़े । वहां पे माँ ने मेरे लिए चूड़ियां, पायल, झुमके,नेकलेस, काजल, मेकअप का सारा सामान लेलिया फिर वहां से हम लेडीज गारमेंट के दूकान में चले गए। वहां से माँ ने मेरे लिए खुद के साइज के ३ पुशअप ब्रा और पैंटी लेली। शॉपिंग करते वक़्त को माँ के चेहरे पे मुस्कान थी, जो आज तक मैंने कभी देखि न थी। आखरी में एक विग भी लेली और हम घर चले आये।
____२ दिन में पहला सोमवार आने वाला था वो टेलर वाली आंटी ने शाम को तुरंत ब्लाउज अल्टर करवाके देके गयी। ये सब जो सोमवार को होने वाला था वो माँ ने पिताजी को बता दी थी उन्होने कहा की “मुझे कोई आपत्ति नहीं है, तुम्हे जो ठीक लगे वो करो” और सो गए। और मेरा मन यहाँ पे मुझे सोने नहीं दे रहा था ये सब क्या कह दिया मैंने अगर किसीने मुझे देख लिया तो क्या सोचेगा मेरे बारे में, १-२ घंटे बाद मेरी भी आँख लग गयी और मैं सो गया।
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___ अगला दिन रविवार था। मैं अपने कॉलेज के दोस्तों से मिल आया और निकलते वक़्त मैंने उन्हें कहा ही कल में कॉलेज नहीं आ सकता जरा बहार जाना है। रविवार के दिन शाम को माँ ने मुझे पुरे शरीर पर हल्दी और बेसन की पेस्ट लगाकर नहाने के लिए कहा। मैंने जो माँ ने कहा वही किया नहाते समय मैं पानी की तरफ ध्यान से देखा तो मुझे दिखा की पानी में छोटे-छोटे बाल बह रहे है। तो मैंने अपनी शरीर पर ध्यान से देखा वो मेरे शरीर पे बाल ही नहीं रहे। वैसेभी मेरे शरीर पर उतने बाल नहीं थे। टॉवल से शरीर पोछते वक़्त मेरी त्वचा मुझे मुलायम लगने लगी जैसे लड़कियों की होती है वैसे मैं मन ही मन माँ पर गुस्सा हो रहा था। बदन सूखने के बाद मैंने अपने शरीर को गौर से देखा तो मेरा पूरा शरीर थोड़ा पीला पीला दिख रहा था।
तभी मैं माँ पे चिल्लाया “ये सब क्या है माँ”
माँ “अरे बाबा ने कहा था इसलिए, वैसे तो तू अब बहार नहीं जाने वाला , १ दिन में वो रंग उड़ जायेगा कोई चिंता मत कर”
——फिर मैं कमरे में चला गया शॉर्ट पैंट पहनी तो मुझे अजीब महसूस होने लगा तभी मैंने १० कदम चलके देखा तो मुझे समझा की ये तो मेरे शरीर पर बाल ना होने के कारण हो रहा है। मैंने पहना कपडा सीधा मेरी त्वचा से संपर्क कर रहा हैं। इसकी वजह से मेरे रोंगटे खड़े होने लगे। आज तक मेरे शरीर ने ऐसा महसूस नहीं किया था। वही संवेदना जब मैंने टी शर्ट पहनी तब महसूस हुयी, अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा था। रात का खाना खाके में सो गया, देखते ही देखते रविवार बीत गया।
____सोमवार जिस दिन की माँ को बेसब्री से इंतज़ार था और मुझे लगता था की काश ये दिन सप्ताह में हो ही ना। कॉलेज सुहब होने के कारण मुझे जल्दी उठने की आदत थी। हमेशा की तरह माँ पिताजी के लिए सुबह खाने का डिब्बा बनाती है। पिताजी ७ बजे निकल गए घर से ऑफिस दूर होने के कारण पिताजी को जल्दी निकलना पड़ता है। वैसे मैं भी पिताजी निकलने के १० मिनट बाद कॉलेज के लिए निकलता हूँ परंतु आज मुझे कॉलेज नहीं जाना था,बोर ना करे इसलिए मैं अपने मोबाइल पे इंटरनेट चला रहा था। पिताजी के जाने के बाद माँ मेरे कमरे में आयी उन्होंने देखा की मैं बिस्तर पर लेटके मोबाइल पे कुछ कर रहा था,
माँ ने कहा “मैं नहाके लेती हूँ फिर तू नहाने जाना “
मैंने “ठीक है” कहा
ठीक आधे घंटे बाद माँ ने मुझे माँ ने बुलाया
“जा जल्दी नहाके ले” माँ ने कहा
____माँ तभी ब्लाउज और पेटीकोट पहनी हुई थी। साड़ी पहनने ले रही थी तभी में नहाने चला गया। लगभग १० मिनट लगे मुझे नहाने के लिए, मैं पूरा बदन घिस के मेरे शरीर पे चढ़ा हुआ पीला रंग निकलने की कोशिश कर रहा था, थोड़ा फ़र्क़ दिख रहा था। उसके बाद मैं टॉवल कमर पर बाँध कर बाथरूम से बहार आया माँ मेरे कमरे में थी। मैं वही चला गया, मैंने देख की मेरे खटिया पर सब सामान फैला हुआ था जिसमे हमने २ दिन पहले की हुई शॉपिंग, साड़ी-ब्लाउज और पेटीकोट था। मेरे नहाने तक माँ ने साड़ी पहनली थी उनके लिए २ मिनट का काम था साड़ी पहनना, तभी माँ ने मुझे देखा तो मेरे हाथ में ब्रा-पैंटी थमाकर बाथरूम में जाके पहनके आने के लिए कहा। जीवन में कभी सोचा नहीं था के मेंरे साथ ये सब होने वाला है। सिर्फ माँ के लिए मैं ये सब कर रहा था। में ब्रा-पैंटी पहनकर कमरे में आया तभी माँ मुझे देखके हंसने लगी तभी मैंने खुदको टॉवल से ढक लिया।
माँ आपके कहने पे ये सब पहनना पड़ रहा है और आपको हंसी आ रही है। ( मेरे चेहरे पर नाराजगी थी )
माँ फिरसे हस्ते हुए “अरे बाबा ओके अब नहीं हसूँगी”
फिर उन्होंने मुझे नजदीक बुलाया, फिर मुझे पेटीकोट और ब्लाउज पहनाया। हुक्स लगानेके बाद ब्लाउज इतना टाइट हो गया जैसे की उसे अंदर से फेविकोल लगाके पहनाया हो पूरा चिपक गया था।
“माँ इतने टाइट कपडे में तो मैं तो १ घंटा भी नहीं गुजर सकता मुझे घुटन से हो रही है।”
“देख क्या तू चाहता है की अपने परिवार पे कोई संकट आये ?”
“नहीं तो” मैंने कहा
“तो करले सहन १ दिन, मैं इतने सालो से ऐसे ही कपडे पहनते आ रही हूँ मुझे तो कुछ नहीं हुआ “
“अरे तुम तो औरत हो तुम्हे तो इसकी आदत है”
“फिर देख लो १ दिन औरत बनके मेरे पे क्या बितती है ये पता चलेगा”
“और मैं चुप हो गया”
माँ ने पेटीकोट एकदम मुलायम चुना था जिसके घर्षण से मुझे में कर्रेंट जैसा लग रहा था। तभी अचानक से मेरा लिंग उभरने लगा उसे छिपाके के लिए मैं तुरंत बाथरूम में भाग गया। माँ मेरे पीछे पीछे आयी
“अरे क्या हुआ ऐसे क्यों भाग गए”
“मैं बहाना बनाया की मुझे सु लगी है”
अभी बाथरूम में जाने के बाद मैंने अपने लिंग को एडजस्ट किया फिर हाथ धोके बहार आया।
“आराम से जा सकता था ऐसे भागने की क्या जरूरत है, पूरा दिन पड़ा है अपने पास”
____आगे माँ ने मेरे हाथ और पाँव के नाखून नेलपेंट से पेंट कर दिए फिर छन छन आवाज करने वाली पायल पहना दी। मैं थोडासा भी पाँव उठाके दूसरी जगह डालता तो पायल आवाज कर रही थी। फिर हरे रंग की कांच की और मेटल की गोल्डन चुडिया पहना दी। उसके बाद माँ ने साड़ी उठायी जो बैंगनी रंग के साथ गोल्ड बॉर्डर की थी। लगभग ५ मिनट में माँ ने मुझे साड़ी पहनाई, तभी वो रो रही थी।
“क्या हुआ माँ रो क्यों रही हो” मैंने माँ से पूंछा
रोते हुए माँ ने कहा “कुछ नहीं बेटा माँ अपनी पहली साड़ी अपनी बेटी को पहनाती है परंतु मुझे बेटी ही नहीं है, तुझे साड़ी पहनाते हुए मुझे बेटी होने का अहसास हो रहा है”
ये सुनके मेंने भावुक होकर कहा की “अगर मेरे साड़ी पहनने से आपको बेटी होने की ख़ुशी मिल रही है तो आप मुझे हर दिन साड़ी पहनाओ “
माँ खुदके साड़ी का पल्लू से आंसू पोछते हुए “नहीं बेटा ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है, तुम जैसे हो वैसे ही मुझे पसंद हो”
में साड़ी पहनकर तैयार था। तभी मुझे पीठ पर थोड़ी खुजली सी होने लगी मैंने माँ से कहा की थोड़ी हेल्प करो।
माँ “कहा पे”
पीछे ब्लाउज के अंदर ब्रा के हुक्स है वहां पे। तब थोड़ा रिलैक्स फील हुआ।
उसके बाद माँ ने विग पहनाया एडजस्ट किया फिर थोड़ा मेकअप किया, लिपस्टिक लगायी, नेकलेस पहनाया , क्लिप वाले झुमके पहने मेरे कान में छेद नहीं थे, आखरी में माथे पर १ बिंदी लगायी। फिर माँ ने मुझे दोनों हाथो से पकड़ा और “मेरी गीता को किसीकी नजर ना लगे” कहके मेरी नजर उतारी। पुरा श्रृंगार करके मैं तैयार था देवी माँ की पूजा करने। साड़ी में मुझे थोड़ी कठिनाइयाँ तो हो रही थी चलने में बैठने में। मैंने कहा की एक ही दिन की तो बात है।
उसके बाद मैं देवी माँ की मूर्ति सामने जाके हाँथ जोड़े और पूजा शुरू हो गयी, माँ ने बाबा के यहाँ से ५० पन्नो की किताब लायी थी वो मुझे पढ़नी थी, माँ जैसा कहती गयी वैसे में करता गया लगभग ३० मिनट में पूजा संपन्न हुयी। उसके बाद मैंने पूजा की थाली उठाई और देवी माँ के सामने लहराई और आशिर्वाद लिया। तभी माँ ने मुझे कहा की ये थाली पुरे घर में घुमाओ। तो मैं थाली लेके पुरे घर के कोने कोने मैं जाके आया तभी मेरी माँ ने मेरी फोटो खिंच ली।
तभी मुझे आवाज आयी फोटो खींचने की, मैंने देखा की मेरी माँ छुपकेसे मेरी तस्वीर रही ले थी। मैं माँ पे गुस्सा होकर कहा।
“आप मेरी फोटो क्यों ले रही हो। “
” युही, अरे गुस्सा मत हो, ठीक है मैं हटा देती हूँ। “
” मेरा मतलब वो नहीं था पहले बोल देती मैं ठीक तरीके से पोज़ देता।”
फिर मैंने माँ को कैमरा की तरफ देखकर हाथ में थाली पकडे हुए पोज़ दे दी और फिर माँ ने वो तस्वीर कैमरा से मोबाइल में कैद करली।
” अब ठीक है ना ?” मैंने ने हां पूंछा
___पूजा तोह संपन्न हो गयी मेरा काम तोह ख़तम हो गया परन्तु बाबा के कहने के नुसार मुझे आज का पूरा दिन साड़ी पहने ही बिताना पड़ेगा। १ घंटा तो मैंने झेल लिया, अब पूरा दिन कैसे गुजारु ये सोच में पड़ गया। माँ तो किचन में चली गयी और मुझे यहाँ जोरो की भूख लगने लगी, फिर मैं किचन मैं गया और माँ से कहा की,
” मुझे चाय बिस्कुट देदो पेट में चूहे दौड़ रहे है “
” आज तेरा उपवास है, तू ये सब नहीं खा सकता “
(मैं तो मर जाऊंगा इसके चक्कर में मन ही मन)
” माँ आपको तो पता ही है की सुबह मुझे जोरो की भूंख लगती है, अब में क्या करू “
माँ ने मेरा रोने वाला उदास चेहरा देखा फिर कहा
” १५ मिनट तो रोक सकता है न भूंख, मैं तेरे लिए साबूदाने की खिचड़ी बनाती हूँ “
___फिर मैं वहा से चला गया, फिर में साड़ी के साथ थोड़ा खेलने लगा, चलते वक़्त मेरा पाँव सामने वाली प्लीट्स पर पड़ा और मैं गिरते गिरते बच गया, फिर मैंने देखा की कैसे चलते वक़्त सामने वाली प्लेट्स काम करती है, मेरे आगे झुकने पर मेरा पल्लू कैसे आगे चला आता है। वक़्त का मुझे पता नहीं चला फिर मेरी नजर मेरी माँ पर जाती है। वो वह एक हाथ में खिचड़ी की प्लेट पकड़ कर दूसरे हाथ से खुदके पल्लू को अपने मुँह पर रखके खड़ी थी। मुझे साड़ी से खेलते हुए देख रही थी वो, उसे देख कर में एक साथ सावधान की पोज़ में खड़ा हो गया।
” चलने दो जो कुछ चल रहा है, ऐसे पुतले की तरह रुक क्यू गए “
” अरे कुछ नहीं माँ ऐसे ही देख रहा था में चलते वक़्त गिरते गिरते बचा हूँ इसलिए थोड़ी प्रैक्टिस कर रहा था चलने की “
” ठीक है मैं कुछ टिप्स देती हूँ, पहले ये खिचड़ी खा ले उसके बाद मुझे आवाज देना”
___माँ वो प्लेट मेरे हाथ पर थामकर चली गयी। फिर मैंने खिचड़ी खाना शुरू किया, मजा आ रहा था खिचड़ी खाने में, माँ के हाथ का बनाया हुआ खाना किसे पसंद नहीं आएगा। माँ ने थोड़ी ज्यादा बनायीं थी क्योंकि फिरसे मुझे जल्दी भूँख ना लगे। मैंने पूरी खिचड़ी खाके ख़तम करदी और प्लेट लेके किचन में चला गया। चलने से मेरे पायल और हाथ में पहनी चुडिया आवाज कर रहे थे। फिर माँ और माँ दूसरे कमरे में आ गए, फिर माँ में मुझे सब करके दिखाया की बैठते वक़्त साड़ी को कैसे संवारते है, बैठते वक़्त पल्लू को कैसे लेते है, साड़ी की प्लीट्स कैसे एक हाथ से सँभालते है। परंतु मुझे इन सबमे रूचि नहीं थी।
” ठीक है माँ अब मैं देख लूंगा” कहके मैंने बात ख़तम करी
___फिर माँ वह से जा ही रही थी की अचानक से दरवाजे की घंटी बजी मेरी धड़कन बढ़ने लगी। तभी माँ ने मुझे बाथरूम में जाके छुपने के लिए कहा। मैं बॉथरूम की और भागा चला गया और बाथरूम का दरवाजा लगा लिया। माँ ने दरवाजा खोल के देखा तो पड़ोसन आंटी आयी थी। माँ ने उसे घरमे बुला लिया और क्या काम है पूंछा।
” कुछ नहीं जी ऐसे ही आयी हूँ मेरे वो अभी चले गए सोचा थोड़ी आपसे बाते करलु”
” आओ फिर चाय लोगी आप ?” माँ ने पूंछा
” हाँ चलेगा “
वो दोनों किचन में आ गयी और में बाजु में ही छिपा पुतले जैसे खड़ा था।
” गीतेश गया क्या कॉलेज ? “
” हाँ चला गया ” माँ ने बिना किसी हिचकिचाहट से कहा
मैं उनकी सब बाते सुन रहा था।
” २ दिन पहले मुझे ऐसा लगा की गीतेश मुझे बुरी नज़रों से देख रहा है “
” माफ़ कीजिये आपको गलतफ़हमी हुयी है मेरा बेटा ऐसा नहीं है, आनेदो उसको उसकी आज क्लास लेती हूँ “
वास्तव में आंटी सच कह रही थी उनकी फिगर भी वैसी ही थी।
” नहीं उसे कुछ मत कहना मैंने ऐसे ही बताया आपको, मैं इतना यकीन से नहीं कह सकती “
” देखो मेरे बेटे पे ऐसे इल्जाम मत लगाओ “
___आंटी खुदको दोषी महसूस करने लगी, उन्होने यहाँ से निकलना ही बेहतर समझा। मैं आंटी के लिए बुरा महसूस कर रहा था। वो जाने ही वाली थी तभी मेरे कान पे मकड़ी आके बैठ गयी मुझे गुदगुदी हुयी फिर मैंने अपने कान पर तेजी से हाथ घुमाया और मेरी चुडिया खनकी जिसकी आवाज आंटी ने सुन ली।
” अरे ये आवाज कैसी थी ” आंटी ने पूंछा
” कौनसी आवाज मुझे तोह कोई आवाज नहीं आयी ” माँ में मुझे बचा रही थी
” चूड़ियां खनकने की आवाज “
” नहीं तो “
” आप थोड़ा आराम करलो शायद आपके कान बज रहे है “
माँ ने उसे घर से रफादफा करदिया, उसके बाद माँ ने किचन में आके मुझे बहार आने को कहा। फिर माँ मुझे गुस्से से देख रही थी।
” उसने जो कहा क्या वो सच है “
” नहीं माँ वो कुछ भी कहे जा रही थी “
__फिर माँ ने चैन की सांस लेली। बाथरूम में छिपने की वजह से मुझे थोड़ा पसीना आया ब्लाउज भी बगल में भीग गया। साड़ी भी गले के निचे भीग गयी। फिर मैंने माँ से पुछा
” माँ ये साड़ी उतारू? भीग गयी है “
” ठीक है, मैं दूसरी साड़ी लेके आती हूँ “
” मैं आँखे बड़ी करके माँ को देखने लगा”
वो साड़ी ब्लाउज उतारके माँ ने मुझे घरेलु शिफॉन साड़ी पहनाई और कहा
“जा थोड़ा आराम कर ले”
___११ बजे थे मैं अपने कमरे में जाके लेट गया। उस वक़्त चूड़ियाँ मुझे तंग कर रही थी, मुझे डर था की चुडिया टूटके मुझे लग ना जाये ये, फिर मैंने अपना मोबाइल लेलिया वक़्त काटने के लिए, मैंने फेसबुक खोला पोस्ट देख रहा था तो अचानक मेरी कॉलेज की सहेली प्रिया का वीडियो कॉल आ गया। उसका वीडियो कॉल आते देख के में डर गया अब क्या करू मुझे समझ नहीं आ रहा था। मैंने कॉल नहीं उठाया उसके बाद तुरंत प्रिया ने मुझे मेसेज किया
” कॉल क्यों नहीं उठाया “
मैंने रिप्लाई किया की ” मैं बिस्तर में हूँ मैंने कुछ पहना नहीं है “
मैंने बहाना बनाया अगर साड़ी पहने हुए इस हालत में मुझे वो देख लेती तो पता नहीं क्या होता।
” अरे यार तो इसमें क्या शर्माना है तुम लड़की थोड़ी हो, मुझे कहा तेरा पूरा शरीर देखना है बस वीडियो चाट करनी थी “
” मैं नहीं चाहता की तुम मुझे इस हालत में देखो “
” ठीक है फिर में वॉइस कॉल करती हूँ “
मैंने ओके कह दिया। तुरंत उसका कॉल आया और मैंने उठालिया।
” तु कॉलेज नहीं गयी आज ” मैंने पूंछा
” नहीं यार मुझे थोड़ा बुखार है, और तू भी नहीं गया “
मैंने फ़ूड-पॉइज़न का बहाना बनाया। फिर मैंने मोबाइल दूसरे हाथ में लिया तभी मेरी चूड़ियाँ खनकी और उसने वो आवाज सुन ली।
” ये चूड़ियों की आवाज कहा से आ रही है गीतेश ” प्रिया ने पूंछा
में घबरा गया और कहा ” अरे वो माँ है बाजु में, कमरा साफ़ कर रही है इसलिए। “
___उसे मेरी बातों पर यकीन हुआ, फिर में जान बूझ कर बिच में माइक्रोफ़ोन से हाथ दूर करके चूड़ियों की आवाज कर रहा था। हमने थोड़ी बाते की और उसने कॉल काट दिया। उसके बाद में साड़ी में ही सो गया।
लगभग ४ बजे मेरी नींद खुल गयी। माँ टीव्ही पे सीरियल देख रही थी।
” माँ भूंख लगी है मुझे कुछ खाने के लिए दो।”
___माँ ने मुझे ३-४ प्रकार के फल दे दिए खानेके लिए, उसमे मेरी भूख मिट गयी। माँ ने देखा की मेरी साड़ी बिखरी हुयी थोड़ी खुली थी, माँ ने मुझे अपने पास बुलाया वही साड़ी खोलके फिर से बाँध दी और विग ठीक करा । मुझे अब साड़ी अच्छी लगने लगी थी घरेलु साड़ी बोहोत मुलायम थी। उसके स्पर्श से मेरे रोंगटे खड़े होने लगे कुछ अलग ही महसूस हो रहा था। पायल और साड़ी पहनने के बाद मेरी चाल थोड़ी बदल सी गयी थी। में खुदको आईने में देख रहा था अलग अलग पोज़ दे रहा था बिच में मैंने ठुमका भी मारना चाहा, माँ देखेगी तोह क्या सोचेगी। अभी मुझे पता चला की लड़किया आईने के सामने इतना समय क्यूँ बिताती है और उन्हें तैयार होने में इतना समय क्यों लगता है।
शाम हो चुकी थी पिताजी घरपे आ चुके थे। पिताजी फ्रेश होकर हॉल में टेलिव्हिजन देख रहे थे। पापा ने अब तक मुझे देखा नहीं था परंतु उनको अंदाजा था इन सब का माँ ने बताया था। तब माँ मुझे आवाज देके बुलाती है। मैं किचन में चला गया।
” ये ले चाय “
” अरे सुबह आपनेही कहा था की मैं चाय नहीं ले सकता “
” बुद्धू ये चाय तुम्हारे पापा के लिए है उन्हें देके आओ “
” माँ ये सब नहीं करने वाला “
___फिर माँ ने उदास चेहरा बना लिया उसे देख कर में राजी हो गया। मेरा इमोशनल ब्लैकमेल हो रहा था। फिर मैं ट्रे में चाय बिस्कुट लेके गया, माँ मेरे पीछे पीछे आ रही थी। चलते वक़्त मेरी पायल आवाज कर रही थी । ऐसा लग रहा था की कोई लड़का मुझे देखने आया है और मैं उसे चाय देने जा रही हूँ शरमाते हुए। पापा का ध्यान टीवी में था उन्होंने मेरी तरफ ध्यान से नहीं देखा। चाय उठाते वक़्त पापा
” सुधा तुम ऐसे खड़ी क्यों हो आओ बैठो ” सुधा मेरी माँ का नाम है
तभी माँ मेरे पीछे से बोली
” ये सुधा नहीं आपकी बेटी गीता है।”
___तभी पापा ने मेरे चेहरे की ओर देख तो वो हैरान हो गए। मैं माँ की घरेलु साड़ी में था इसलिए वो शायद मुझे पहचान नहीं पाए। उन्होंने मेरी तारीफ़ की और मैंने अच्छी बेटी की तरह उनके पैर छूकर प्रणाम किया। तभी माँ ने मुझे टोका
” सुबह से मेरे पैर छुनेका मन नहीं किया तेरा ?”
___फिर मैंने माँ के भी पैर छूकर प्रणाम किया, माँ के चेहरे पर अलग ही ख़ुशी थी। फिर सब अपने अपने काम में जुट गए। माँ ने मुझे वेफर्स दिये खाने के लिए मुझे भूंख नहीं थी फिर भी मैंने खा लिए। देखते ही देखते रात हो गयी खाने का समय हुआ था। माँ ने कहा खाने से पहले देवी माँ को प्रणाम करके आना। मैंने प्रणाम किया फिर रात को मैंने उपवास तोडके हम तीनो ने एकसाथ खाना खाया। सोते समय माँ ने कहा के अब उतार दे साड़ी और सब कुछ। मैंने मना किया और कहा की
“आज मुझे साड़ी में ही सोना है।”
ये सुनके वो हैरान हो गयी। माँ ने मुझे गहने चूड़ियां और पायल उतारने को कहा मैं सिर्फ नेकलेस और झुमके उतारके लेट गया।
” क्या अजीब लड़का है सुबह तोह साड़ी पहनने को मना कर रहा था अब उतारने का नाम ही नहीं ले रहा “
मेरी जिद के सामने वो कुछ नहीं कर सकती थी। फिर माँ ने लाइट बंद करदी और हम सब सो गए।
पहला सोमवार जैसे तैसे करके बीत गया। दूसरे दिन हमेशा की तरह मैं समय पर उठ गया। अभीभी मैंने साड़ी पहनी हुई थी वैसे ही उठकर में ब्रश करने चला गया मेरा साड़ी उतारने का मन नहीं कर रहा था सोच रहा था की ऐसे ही कॉलेज चला जाऊ ऐसे मन में अजीब अजीब ख़याल आने लगे। माँ पीछे से चिल्लाई
” अब साड़ी में ही कॉलेज जानेका इरादा है क्या ? चल उतार दे, पता नहीं कैसे तुझे साड़ी पहनकर नींद आ गयी, मैं तोह नहीं सो पाती “
___मैंने कुछ नही कहा ब्रश करने के बाद मैंने साड़ी उतारना शुरू किया मैंने कंधे पर लगी सेफ्टी पिन नीकाल ने की कोशिश कर रहा था परन्तु मुझसे नहीं हो पा रहा था, माँ ने देखा की मुझे पिन निकालने में कठिनाई हो रही है तभी माँ मेरे पास आयी
” आजा मैं मदत कर देती हूँ “
___माँ ने पिन निकाल दी फिर मैंने पूरी साड़ी उतार दी अब मैं पेटिकोट और ब्लाउज मैं था फिर मैंने ब्लाउज के हुक्स निकाले उसके बाद माँ ने ब्रा उतारने में मदत करदी, ब्रा टाइट होने के कारण मेरे कंधो पे ब्रा के पट्टियों के निशान हुए थे मुझे थोड़ा हल्का महसूस होने लगा और पेटीकोट उतारके टॉवल लेके में नहाने चला गया। फिर तैयार होकर मैंने चाय पिली उसके बाद कॉलेज चला गया।
___कॉलेज में लेक्चर चल रहा था मेरा ध्यान किसी और जगह था, मैं सोच रहा था की
” पहले मुझे साड़ी नहीं पहननी थी फिर क्यों अचानक से मुझे अच्छा लगने लगा, रात को क्यों मुझे साड़ी में सोने की इच्छा हुयी, माँ क्या सोच रही होगी ” मेरी सोच धीरे धीरे बदल रही थी। तभी टीचर ने मेरा नाम लेके मुझ पर चिल्लाये ” ध्यान कहा है तुम्हारा “
सब मुझ पे हंस रहे थे फिर में उदास चेहरा लेकर ध्यान देने लगा।
___फिर थोड़ी समय बाद लंच-ब्रेक हो गया, हम सब कैंटीन में चले गए। वहा पर मैंने पाँवभाजी आर्डर कर दिया आज मुझे दोस्तों क साथ बैठने का मन नहीं कर रहा था। फिर मैंने वो प्लेट लेके कोने में चला गया, में पावभाजी खा रहा था तो अचानक से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा मैं पीछे मूड कर देखा तोह वह प्रिया थी।
[ भूत – प्रिया और में एक दूसरे से कॉलेज में मिले थे, २ साल पहले की बात थी कॉलेज का पहला ही दिन था, मैं थोड़ा लेट हुआ था तो क्लास में जाने के बाद देखा तोह पीछे की जगह सब ने पहले ही लेली थी तो मुझे आगे दूरसे बेंच पर बैठना पड़ा, और मेरे बाजु वाले बेंच पर ही प्रिया बैठी हुयी थी, हर दिन वही जगह पर बैठने के कारण प्रिया और मेरी दोस्ती हुयी, वो अमीर खानदान से है। ]
वर्तमान
” तू यहाँ अकेला क्यों बैठा है, और अब कैसा महसूस हो रहा है ठीक तोह है न तू ?”
” आओ बैठो, अरे मैं ठीक हूँ, तू बता तू कैसी है ?”
” मुझे थोड़ा बुखार है अभीभी “
” तो फिर कॉलेज क्यों आयी आराम करलेती “
” नहीं मुझे बोर हो रहा था घर पर बैठे बैठे “
” तुम कुछ खाओगी ” मैंने पूंछा
” नहीं मेरा हो गया, कॉलेज के बाद क्या करने वाले हो ? “
” क्यों, कुछ काम है क्या ? “
” मॉल घूमने चले कॉलेज के बाद ? “
” मैंने ठीक है कह दिया “
प्रिया के पास स्कूटी थी, कॉलेज आने जाने के लिए वो उसका उपयोग करती थी। हाली में उसे लाइसेंस भी मिला था। फिर मैं पीछे बैठ गया और हम मॉल चले गए। मॉल घूमने के बाद हम वहा से निकलते वक़्त प्रिया ने मुझसे कहा की
” चल आज मैं तुझे घर तक छोड़ देती हूँ “
” उसकी कोई जरूरत नहीं है मैं चला जाऊँगा ” मैं मना कर रहा था
फिर वो गुस्सा होकर बोली
” कल से मुझसे बात मत करना “
” इतना गुस्सा ? चलो बाबा कर दो ड्रॉप “
फिर स्कूटी पर उसने मुझे घर तक छोड़ा । फिर में उतर गया और घर की और निकल ही रहा था की प्रिया बोली
” घर पर नहीं बुलओगे “
फिर में उसे लेकर घर चला गया। दरवाजे की घंटी बजायी, माँ ने दरवाजा खोला।
माँ प्रियो को देखकर थोड़ी हैरान हो गयी। उसे देख कर माँ ने पूंछा
” बेटा ये सुंदरसी लड़की कौन है ? “
” माँ ये मेरे कॉलेज की सहेली प्रिया है “
” बड़ा सुंदर नाम है आपका ” माँ ने प्रिया की तरफ देखते हुए कहा
” थैंक यू आंटीजी “
” अब अंदर आने दोगी ? ” मैंने कहा
फिर माँ ने उसे घरमे आमंत्रित किया। माँ ने उसे सोफे पे बैठने को कहा। वो बैठ गयी और मैं बाजु वाली खुर्सी पर बैठ गया।
” कुछ खाओगी बेटा “
” कुछ नहीं आंटी सिर्फ १ गिलास हल्का गरम पानी देदीजिये “
माँ किचन में गयी और थोड़ा गरम पानी लेकेआयी, माँ के आने के बाद मैंने उन्हें कहा
” आप बाते करो में फ्रेश होकर आता हूँ ” में फ्रेश होने के लिए बाथरूम चला गया वो दोनों एक दूसरे से बाते कर रहे थे, अगली बाते सिर्फ उन दोनों में हुई उसकी मुझे कोई कल्पना नहीं थी
[ प्रिया ने देखा मेरी माँ की हाथ में सिर्फ १-१ ही हरे रंग की कांच की चूड़ी थी
” आंटी आपने हाथ में १-१ ही चुडिया डाली है “
” हाँ बेटा जब में घर में होती हूँ तो इतनी ही पहनती हूँ, अगर बहार नहीं तोह किसी समारोह में जाना हो तभी थोड़ी चूड़ियां पहनती हूँ “
” तो कल भी आपने इतनी ही चुडिया पहनी थी ? “
” हाँ बेटा, तुम चूडियो के बारे में क्यूँ पूँछ रही हो ? “
” कुछ नहीं आंटी ऐसे ही, मुझे भी चुडिया उतनी पसंद नहीं है “
” गीतेश क्या कर रहा था कल पुरे दिन ? “
” वो बीमार था इसलिए आराम कर रहा था ” ]
फिर मैं वह वहा आजाता हूँ, प्रिया बाते करना बंद करती है
” प्रिया तुम्हे फ्रेश होना है ? ” मैंने पूंछा
” नहीं मैं निकलती हूँ अब कल मिलते है, घर के लोग इंतजार कर रहे होंगे वैसे मैंने मेसेज किया था की लेट हो जायेगा “
फिर मैं उसे छोड़ने स्कूटी तक चला गया और वो चली गयी, मैं घर में आया मैंने माँ से पूंछा क्या बाते कर रही थी।
” कुछ ख़ास नहीं वो चूड़ियों के बारे में पूँछ रही थी की, मैं ज्यादा चुडिया क्यों नहीं पहनती। “
ये सुनकर मैं हैरान हो गया की उसने माँ से ये सवाल पूंछा अब मुझे समझ आया की वो घर क्यों आयी थी। मैंने माँ से कहा की
” कल फ़ोन पर बात करते वक़्त मेरी चूड़ियों की आवाज उसने सुन ली, फिर मैंने कहा था की मेरी माँ है रूम साफ़ कर रही है “
ये सुनकर माँ भी आश्चर्यचकित हो गयी।
” अरे बापरे ! अब क्या करे गीतू ” माँ मुझे प्यार से गीतू बुलाती है।
” मैं कुछ करता हूँ। “
__अब मेरे बारे में वो क्या सोच रही होगी पूरा दिन इसमें ही चला गया की कल वो जरूर पूछेगी मुझे चूड़ियों के बारे में, मैं गंभीर स्तिथि में फस गया था अब उसे क्या बताऊ। घर में तो मैं और माँ ही रहते है दूसरे किसीका नाम भी नहीं ले सकता क्यों की चुडिया सिर्फ औरते ही पहनती है। और किसीका नाम लेता तो मेरे कॅरक्टर पे शक हो सकता है। ये संकट कैसे टाल सकते है यही सोच सोच कर में रात को खाने के बाद सो गया।
हर दिन की तरह में कॉलेज चला गया। प्रिया और मैं क्लास में पहले की तरह बाजु-बाजु वाली बेंच पर नहीं बैठते । लंच टाइम हुआ फिर में कैंटीन की और जा रहा था पिछेसे प्रिया आयी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे ” hi ” कहा। मैंने भी उसे ” hi ” कहा। हम दोनों एक साथ कैंटीन की और जा रहे थे। में काउंटर के पास जाके प्रिया से पूंछा
” तुम कुछ लोगी ? “
” नहीं मैंने घरसे डिब्बा लाया है “
फिर मैंने ख़ुद के लिए ऑर्डर किया, वो लेके हम उसी जगह गए जहा कल मैं बैठा था।
” तुम सहेलियों के साथ नहीं बैठ रही ? “
” क्यूँ तुझे कुछ प्रॉब्लम है ? फिर बता तू क्यू नहीं अपने दोस्तों के साथ बैठ रहा ? “
” अरे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ऐसे ही पूंछा, मुझे थोड़ा अकेलापन चाहिए था इसलिए मैं उनके साथ नहीं बैठ रहा। “
” चलो काम की बात करते है। ” प्रिया ने कहा
मुझे अंदाजा था की ये क्या पूंछने वाली है।
” कोनसी काम की बात ? ” मैंने पूंछा
उसने थोड़ी धीमी आवाज से मुझसे पूंछा की
” तुमने उस दिन झूठ क्यों बोला “
” कोनसा झूठ “
” जिस दिन मैंने फ़ोन पर चूड़ियों की आवाज सुनी थी वो “
” अरे वो तोह माँ की थी “
” नहीं मैंने आंटी जी से पूंछा था वो उनके चूड़ियों की आवाज नहीं थी, मैंने उनके हाथ में १-२ ही चुड़ियाँ देखी है, उस दिन वो १-२ चूड़ियों की आवाज नहीं थी ऊपर से वो बार बार आ रही थी जैसे की तुम किसी और, तुझे समझा होगा की मुझे क्या कहना है “
” अरे अरे रुको तुम्ह जो सोच रही हो ऐसा कुछ नहीं है “
” हाँ मैं मानता हूँ के मैंने तुमसे झूठ कहा था उसकी एक वजह थी “
” मुझे पता था जब तूने मेरा वीडियो कॉल नहीं उठाया की कुछ गड़बड़ है, तो बताओ की सच क्या है ? “
” ठीक है सच बताने से पहले मुझसे वादा करो की ये सिर्फ हम दोनों के बिच ही रहेगा ” मैंने अपना हाथ आगे करके उससे कहा “
” ठीक है में वादा करती हूँ, अब बताओ ” हम धीमी आवाज में बाते कर रहे थे
मेरी दिल की धड़कने तेजी से बढ़ रही थी वो बात बताते वक़्त
” दरअसल वो चूड़ियां मैंने ही पहनी थी “
ये सुनकर प्रिया का मुँह और आँखे बड़ी हो गयी जैसे की उसे कोई झटका लगा हो।
” तुम मजाक कर रहे हो ना ? “
” प्रिया मजाक नहीं ये सच है “
” तुम कबसे चूड़ियां पहनने लगे “
” मैंने सिर्फ चूड़ियां ही नहीं बल्कि ब्लाउज साड़ी पायल झुमके ये सब पहना था, इसीलिए उस दिन मैंने वीडियो कॉल नहीं उठाया, अचानक से मैंने फ़ोन एक हाथ से दूसरे हाथ में लिया तभी तुझे वो चूड़ियों की आवाज आयी, ये सच छुपाने के लिए मैंने उस दिन ये बहाना बनाया “
तब तक लंच टाइम ख़तम हुआ फिर हम क्लास में चले गए। फिर कॉलेज छूटने के बाद मैं क्लास से बहार निकला फिर देखा की प्रिय क्लास के बहार मेरा इंतेजार कर रही थी। प्रिया मुझेसे कहा मेरा साथ चलो। मैं उसके साथ चला गया फिर हम कॉलेज कैंपस में एक पेड़ के निचे बेंच पर बैठ गए। शायद उसे जानना था की ये सब मैं क्यों कर रहा हूँ।
” तोह आगे बताओ मुझे की तुम औरत की वेश में क्या कर रहे थे, और शायद आंटी को भी पता है इसके बारे में ना ? “
” प्रिया वास्तव में ये सब मैंने माँ के कहने पर ही किया है। माँ ने मुझे मजबूर किया ये सब करने के लिए। “
” और तुम आसानी से मान गए ? “
तो मैंने उसे पूरी कहानी बतायी कैसे माँ ने एक बाबा के कहने पर मुझसे ये सब करवाया। ये सब सुनके उसने पूंछा
” क्या तुम इन सब बातों में विश्वास रखते हो ? “
” नहीं प्रिया, मैंने मना किया था माँ को, तोह वो रोने लगी माँ के ख़ुशी के लिए मैंने ये सब करने का ठान लिया है, माँ के ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ। “
अब प्रिया को परिस्थिती समझ आयी।
” गीतेश क्या सच में तूने पूरा दिन साड़ी पहनकर गुजारा ? “
” हाँ प्रिया ऊपर से में पूरी रात भी साड़ी में ही सो गया । “
” क्या तुम्हारे पास कोई फोटो है उस दिन की “
मैंने अपना फ़ोन निकाल कर वो पूजा की थाली पकड़ी हुयी फोटो उसे दिखा दी। वो फोटो देखकर प्रिया आश्चर्य चकित हो गयी। उसको यकींन ही नहीं हो रहा था की उस फोटो में खड़ी लड़की मैं था।
” ओह माय गॉड गीतेश तूम बहोत सुंदर दिख रहे हो, तो फिर हर सोमवार तुम इसी तरह गुजरो गे ? “
” हां , चलो अब मुझे घर के लिए निकलना पड़ेगा देर हो रही है “
” मैं तुझे छोड़ देती हूँ “
” अरे तुम क्यों तकलीफ ले रही हों मैं चला जाऊँगा “
” देख फिर से तु मुझे शर्मिंदा कर रहा हो “
फिर मैंने माफ़ी मांगी और उसके स्कूटी पर बैठकर चले गए। कल की तरह आज भी उसने मुझे घर ड्राप करके वो अपने घर चली गयी। मैं घर में आया माँ ने पूंछा इतनी देर क्यों लगी।
” माँ मैंने प्रिया को सब सच बता दिया “
” परंतु तुझे ये सब गुप्त रखना था ना ? “
” हाँ माँ उसने वो चूडियो की आवाज से मुझे पकड़ लिया, मैंने उससे वादा लिया है की वो ये सब किसीको नहीं बताएगी आप कोई चिंता मत करो मैं उसे अच्छी तरह से जानता हूँ। “
उसके बाद मैंने खाना खाया फिर टीव्ही देखने लगा थोड़ी देर में प्रिया का कॉल आया मैंने कॉल उठाया।
” हेलो गीतेश “
” हाय प्रिया “
” क्या कर रहे हो ? “
” कुछ नहीं बस टीव्ही देख रहा हूँ “
” सुन ना, अगले सोमवार मैं तेरे घर आउंगी, मुझे भी देखना है तुम्हे साड़ी पहने हुए “
वैसे मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं थी तो मैंने हां कह दिया।
” उसने मुझे थैंक यू बोला और हसते हुए फ़ोन काट दिया। “
दिन ऐसे ही गुजर गया, अगले दिन कॉलेज में प्रिया ने उसकी सहेली को दूसरी जगह बैठने को कहा और मुझे उसके बेंच पर बैठने कहा, और मैं बैठ भी गया सब लड़के मुझे घूर रहे थे परन्तु मैंने उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया। क्लास के दौरान टीचर ने भी कुछ नहीं कहा हम दोनों को एक ही बेंच पर देखकर। हम दोनों एक दूसरे के करीब आ रहे थे शायद उसका कारण मेरा साड़ी पहनना तो नहीं ? हो सकता है, प्रिया भी उत्साहित थी उसके चेहरे पर अलग ही ख़ुशी दिख रही थी। वो सहेलियों के बजाय मुझे ज्यादा समय दे रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था की हम दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड है। वो मुझे हर दिन घर ड्राप करने लगी हम फ़ोन पे भी कुछ ज्यादा बाते करने लगे। जैसे तैसे करके पूरा हफ्ता बीत गया, रविवार भी बीत गया और इस हप्ते के दौरान माँ ने मेरे लिए और ३ नए ब्लाउज सिलाये थे। रात को खाना खाके प्रिया और मेंने थोड़ी देर फ़ोनपर बाते की बादमे सो गए। मैं भी सोमवार का बेसब्री से इंतजार कर रहा था न जाने क्यों शायद मेरा भी अंदर से साड़ी के प्रति प्यार बढ़ रहा था।
दूसरे सोमवार की सुबह मैं जल्द ही उठ गया, माँ मेरे से पहले उठ गयी थी पिताजी काम पर निकल गए, में नहाने चला गया, जाते वक़्त माँ ने मुझे उस दिन की तरह हल्दी और बेसन का मिश्रण मुझे अपने शरीर को लगाने के लिए दिया, मैं फटाफट नाहा लिया मेरा बदन पूरा चिकना दिख रहा था मेरे शरीर पर जैसे बाल ही न हो। इस वक़्त मैंने टॉवल को छाती पर लपेटा था जैसे में बाथरूम से बहार आया माँ किचन में ही थी उन्होंने मुझे देख लिया, और वो हंसने लगी।
” क्या हुआ माँ तुझे हंसी आ रही है “
” कुछ नहीं बेटा तूने टॉवल ऐसे क्यों बांधा है “
” आज के लिए मैं एक लड़की हूँ न, तो लड़कियों जैसा बर्ताव करनेका प्रयास कर रहा हूँ “
” ठीक है फिर आज में तुझे गीता कहके पुकारूंगी चलेगा तुझे ? ” माँ ने मजाक में पूंछा
” ठीक है माँ ” मैंने कह दिया
ये सुनके माँ की आँखे बड़ी हुयी, शायद उन्हें ये उम्मीद नहीं थी। फिर मैं अपने कमरे में चला गया पंखे पर पूरा शरीर सूखा लिया उसके बाद माँ ने आज के लिए लगनेवाली सभी चीजों की व्यवस्था करि हुयी थी। सब कड़पे गहने बिस्तर पर पड़े हुए थे। मैं इनर्स पहन लिए मुझे ब्रा पहनने में परेशानी हुयी परन्तु मैंने माँ की मदत नहीं ली आखरी मैं मैंने ब्रा के हुक्स अपने से ही लगा दिए जैसे की जंग जितने वाली फीलिंग आयी फिर मैंने पेटीकोट लिया कसके कमर पर २ गाँठ बाँध दी, सुनेहरी बॉर्डर वाला लाल ब्लाउज और वही बॉर्डर वाली नारंगी सिल्क साड़ी माँ ने निकाल के रखी थी मैंने ब्रा कप टिश्यू पेपर से भर के उभार बनाया फिर ब्लाउज पहन लिया ब्लाउज फिटिंग मस्त थी, तब तक माँ कमरे में दाखिल होती है,
“अरे वाह तूने ये सब पहन भी लिया, चलो मेरा काम थोड़ा आसान हो गया
“
फिर माँ ने मुझे चुडिया पहनने को कहा आज चुडिया साड़ी को मैचिंग कर रही थी तब तक माँ ने मुझे पायल पहनाये और नेल पोलिश लगायी। नेल पोलिश सूखने के बाद माँ ने मुझे साड़ी पहनाना शुरू किया। साड़ी पहनाते वक़्त माँ ने मैंने मेरा पेटीकोट कितना टाइट बांधा है वो चेक करा।
“अरे बेटा इतना कसके क्यों बांधा है, बादमे कमर पर निशान आएंगे और तुम्हे थोड़ी परेशानी भी होगी “
” नहीं माँ ठीक है मुझे नहीं लग रहा उतना टाइट आप साड़ी बांधो “
माँ ने साड़ी बांधना शुरू किया
” माँ मुझे भी सीखना है साड़ी कैसे बांधते है “
ये सवाल ने माँ को थोड़ा चौंका दिया परंतु उन्होंने इस सवाल को उतनी गंभीरता से नहीं लिया क्यों की और ९ सोमवार मुझे साड़ी पहननी थी। माँ ने कहा की
” ठीक है आज दोपहर को सीखा दूंगी “
माँ ने मेरा पल्लू लेफ्ट वाले कंधे पर पिन करदिया फिर प्लीट्स बनायी और सामने पेटीकोट में घुसा दी फिर नेकलेस,नाक में नथ, हेयर विग, बिंदी, झुमके और थोड़ा लाइट मेकअप किया और मैं पूजा करने के लिए तैयार हो गया। फिर मैंने खुदको आईने में देखा तो मेरे चेहरे पर अलग ही ख़ुशी खिल रही थी । मैं अलग अलग पोज़ देके खुदको देख रहा था मेरी पायल छमक और चूड़ियां खनक रही थी। तभी किचन से माँ की आवाज आयी
” गीता चलो पूजा के लिये आजाओ “
” हाँ आयी ” मैं भी आज के दिन लड़की होनेका बहाना करने का सोचा था।
मैं पूजा करने चला गया, लगभग ४५ मिनट लगे मुझे पूजा संपन्न करने में इस बार मैंने पूजा पूरी श्रद्धा से की पिछले वक़्त मैंने उतनी गंभीरता से नहीं की थी। माँ को भी अच्छा लग रहा था मुझे पूजा करते वक़्त देखने में शायद उन्हें बेटी होने की ख़ुशी मिल रही थी। उसके बाद मैंने देवी माँ को प्रणाम किया और फिर पूजा की थाली पूरे घर में घुमाई। माँ ने मुझे खाने के लिए पूंछा मैंने “हाँ बनाओ” कहके में अपनी रूम में चला गया। रूम में जाके मैंने पंखे का बटन दबाया और फ़ोन लेके बेड पर लेट गया।
९ बज चुके थे मैंने मोबाइल देखा तो प्रिया के १० मिस्ड कॉल्स थे। मेरा फ़ोन साइलेंट पर होने क कारण मुझे रिंग सुनाई नहीं दी। गले में पहना हुआ नेकलेस मुझे चूभ रहा था तो मैंने उसे निकाल कर बाजु में रख दिया। मैं प्रिया से बात करना चाहता था परन्तु इस समय वो क्लास में होगी इसलिए मैंने उसे कॉल नहीं किया। थोड़ी देर में माँ उपवास का नाश्ता लेके आयी तभी माँ ने ध्यान से देखा की मैंने गले का नेकलेस निकाला हुआ है वो देखके माँ
” अरे गीता तेरे गले का हार कहा हैं “
” माँ वो मुझे बोहोत चुभ रहा था इसलिए निकाल के रख दिया “
” परन्तु बेटा तेरा गला देख कितना सुना सुना दिख रहा है “
” कुछ दुसरा ढीला नेकलेस है तो बोलो मैं वो नेकलेस नहीं पहनने वाली “
” ठीक है में दुसरा नेकलेस लेके आती हूँ “
में खाते वक़्त फ़ोन चेक कर रहा था अचानक से मेरे गले में माँ ने नेकलेस डाल दिया
मैंने देखा तो मेरा खुद पे यकींन ही नहीं हो रहा था वास्तव में वो नेकलेस नहीं मंगलसूत्र था मैं माँ पे गुस्सा हो गया।
” माँ के क्या डाल दिया मेरे गले में “
” बेटा दूसरा कोई नेकलेस नहीं है ढीला वाला तो मैंने सोचा की “
मैंने बिच में उनकी बात काटी
” आपको पता है ना ये मंगलसूत्र क्यों पहनते है, ये शादीशुदा औरतों की निशानी है “
” हाँ पता है मुझे , ये पहनने से थोडी ना तेरी शादी होने वाली है “
” मुझे बहस नहीं बढ़ानी थी तो मैंने कुछ नहीं कहा और बिना कुछ कहे मैंने मंगलसूत्र पहन लिया “
करीबन १० बज चुके थे में फ़ोन में ही घुसा हुआ था अचानक से दरवाजे की घंटी बजी में घबरा गया मैंने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया, माँ दरवाजा खोलने चली गयी। दरवाजा खोलने के बाद माँ ने देखा की वो प्रिया थी। माँ ने उसे अंदर आने को कहा उसके बाद माँ ने मुझे आवाज दी की प्रिया आयी है। मेरी सांस में सांस आ गई कमरे का दरवाजा खोलनेसे पहले मैं खुदको फिरसे आईने मैं देखा मैंने अपनी साडी ठीक से सवांरी और मंगलसूत्र उतार दिया उसके बाद दरवाजा खोला देखा तो प्रिया हॉल में खड़ी थी। मैं चलते चलते प्रिया की तरफ जा रहा था मेरी पायल और चूड़ियों की आवाज से वो पलट गयी, पहली बार में प्रिया के सामने साड़ी पहने हुए खड़ा था, उसने जैसे मुझे देखा उत्साह से उसका मुँह बड़ा हुआ। उसके मुँह से इंग्लिश शब्द निकले।
” वट द फक गीतेश, यू आर लुकिंग फकिंग ब्यूटीफुल . . . ! ” ( गीतेश तुम सुंदर लग रहे हो )
” थैंक्स प्रिया आओ बैठो ऐसे खड़ी मत रहो “
माँ किचन में चली गयी, फिर हम दोनों सोफे पर बैठकर बाते करने लगे।
” तू इतनी जल्दी कैसे कॉलेज से आयी “
” मैंने लंच टाइम के बाद क्लास बंक मारी “
” अरे बंक मारने की क्या जरूरत थी आराम से आ जाती “
” मुझसे रुका नहीं जा रहा था तुझे साड़ी पहने हुए देखने के लिए “
उस वक़्त मैं शर्मा रहा था
” क्या तूने कभी किसीको साड़ी पहने हुए नहीं देखा है क्या, तुम्हारी माँ साड़ी नहीं पहनती क्या ? “
” नहीं वैसे देखा है परन्तु किसी लड़के को नहीं देखा है, और मेरी माँ साड़ी किसी त्यौहार को नहीं तो कही फंक्शन में जाना हो तभी पहनती है “
” ओह्हके, तुमने कभी साड़ी पहनने की कोशिश की है ? “
” नहीं मुझे कभी इच्छा नहीं हुयी, मुझे ज्यादा तर जीन्स और टॉप ही पसंद है, साड़ी पहनने का ख़याल अब तक नहीं आया “
” मुझे लगता है की एक बार ट्राय करना चाहिए “
” मुझे लगता है की मै साड़ी संभाल नहीं पाउंगी, ये सब छोड़ चल मुझे एक पोज़ दे फोटो के लिए “
” प्रिया देख ये फोटो किसी और को मत दिखाना “
” ठीक है मैं वादा करती हूँ “
फिर मैंने अपने विग के बाल ओपन किये और प्रिया को एक पोज़ देदी और उसने वो तस्वीर अपने फ़ोन मैं कैद करली। प्रिया ने देखा की मेरे गले में कुछ नहीं पहना है।
” तूने गले में क्यों कुछ नहीं पहना है “
” पहना था नेकलेस वो फिर मुझे चुभने लगा इसीलिए निकाल दिया “
” गीता ये मंगलसूत्र क्यों निकला ” माँ ने मुझे आवाज देते हुए कहा
ये वाक्य ने प्रिया को अचरज में डाला। आंटी ने गीता कहा की गीतेश कहा और ये मंगलसूत्र वाला क्या मामला है ये जानने के लिए प्रिया प्रत्यक्ष माँ से बात करने किचन में चली जाती है।
” आंटी आपने गीतेश को गीता कहके पुकारा क्या ? “
” हाँ बेटा आज के दिन वो मेरी लड़की है “
” सच ? “
” हाँ प्रिया बेटा, तुम खुद उसके मुँह से सुनलो “
उसके बाद प्रिया हॉल में आती है, मैंने उनकी बाते वैसे सुन ली थी।
” हां प्रिया आजके लिए हम माँ-बेटी है “
” ठीक है फिर आज के लिए तुम भी मेरे लिए मित्र नहीं सहेली हो “
” जैसा तू ठीक समझे “
फिर मैं प्रिया को मेरे कमरे में लेके आया प्रिया मुझे साड़ी सँभालते हुए देख रही थी कीतिनि आसानी से में साड़ी संभाल रहा था। कमरे में आते ही माँ के कहने पर मैंने मंगलसूत्र पहन लिया, प्रिया देखती ही रह गयी। हमने थोड़ी बाते करी वो भी मुझसे अब लड़की जैसा ही व्यवहार कर रही थी।
दोपहर हो गयी मुझे भूंक लगने लगी मैंने माँ को आवाज दी कुछ खाने के लिए ले आये
प्रिया बोली
” चल मैं निकलती हूँ अभी “
” अरे रुक न कुछ खाके जा “
” फिर कभी अब मुझे जाना पड़ेगा घर पर राह देख रहे होंगे अगली बार ज्यादा समय निकलूंगी पक्का “
माँ वेफर्स और फल लेके आयी माँ ने देखा की प्रिया निकलने की तैयारी कर रही थी। माँ ने उसे आग्रह किया खाने के लिए तो वो रुक गयी, थोड़ा खाने के बाद वो निकल गयी। जाते वक़्त प्रिया ने छुपकेसे मेरे गाल की चुम्मी लेली और बाय कहके चली गयी।
मैंने थोड़ा खाके माँ से कहा की अब ये साड़ी बदल दो। फिर माँ दूसरी घरेलु साड़ी लेकर आयी मुझे खुदको अपनी साड़ी उतारने को कहा मैंने अपनी साड़ी उतार दी।
दूसरा ब्लाउज पहना अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज पहने खड़ा था। तभी माँ ने खुदकी साड़ी उतारदी। ये थोड़ा अजीब था मैंने माँ से पूंछा
” माँ तुम क्यों अपनी साड़ी उतार रही हो “
” तुझे सिखाने ने के लिए की साड़ी कैसे पहनते है “
तभी मुझे समझ आया। माँ भी ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे बाजू में खड़ी थी।
” मुझे देख जैसा मैं कर रही हूँ वैसे ही करना “
” ठीक है “
माँ ने मुझे दिखाया निचे साड़ी में फॉल बिडिंग कहा होती है साड़ी के निचे का हिस्सा क्यों की साड़ी हवा से बिखर न जाये वह से शुरू करते है। माँ ने मुझे स्टेप बाय स्टेप दिखाया और मैं वैसे करता चला गया लगभग १० मिनट में मैंने खुदसे साड़ी बांधी। पिन कैसे लगाते है सब दिखाया मुझे एक ही बार में समझ आ गया। फिर माने मुझे साड़ी उतारने को कहा।
” १० बार उतारके पहनले तभी धीरे धीरे तू सिख जाएगी “
मैंने बार बार प्रैक्टिस करी अब में पर्फेक्ट्ली साड़ी पहनना सिख चूका था अब मुझे माँ की मदत की कोई जरूरत नहीं थी। साड़ी मुझे अच्छी लगने लगी थी मेरी लड़की बने रहने की इच्छा बढ़ने लगी। बोहोत प्रैक्टिस करने के बाद में सो गया। मुझे गहरी नींद लगी माँ ने मुझे परेशान नहीं किया। मैं ज्यादा देर तक सो रहा था मेरी नींद खुल गयी। घडी में देखा तो ७ बजे थे। फ़ोन पर फिरसे प्रिया के बोहोत सारे मिस्ड कॉल्ड देखे थोड़ा फ्रेश हो लिया। प्रिया से थोड़ी बाते करी रात के खाने के बाद हम सो गए। माँ ने कुछ नहीं कहा आज भी फिरसे मैं चुडिया झुमके निकालकर साड़ी मैं ही सो गया।
दूसरे सोमवार के बाद अगले दिन सुबह में उठ गया खुद से ही पहनी हुयी साड़ी उतारी जब मैं पेटिकोट उतारने की कोशिश की तोह गाँठ इतनी टाइट थी की मैं उसे खोल नहीं पा रहा था बोहोत कोशिश करने के बाद मैंने माँ को आवाज लगायी। माँ तुरंत मेरे पास आयी उन्होंने देखा की मैंने गाँठ ठीक से नहीं बाँधी थी, माँ ने भी कोशिश की फिर भी नहीं खुली, माँ ने कैची लेके पेटीकोट के नाड़े को काट दिया और बोली तुझे दिखाउंगी की गाँठ कैसे बांधते है। उसके बाद में नहाने चला गया कॉलेज जाना था।
दिन ऐसे की गुजरने लगे प्रिया और मैं एक दूसरे को कुछ ज्यादा ही समय दे रहे थे। शायद अनजाने हम एक दूसरे से प्यार करने लगे, कुछ ज्यादा करीब आने लगे, वो मुझे अब चिपकने लगी मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं मिडिल क्लास फॅमिली से था और वो आमिर घर की लड़की थी इसलिए मैंने प्यार का इज़हार करना सही नहीं समझा। हम कॉलेज के बाद हर दिन १ घंटे के लिए मॉल घूमने जाया करते थे प्रिया हर दिन मुझे घर ड्राप करने लगी। एक दिन मैंने प्रिया को ऐसे ही पूंछा की
” तुम लड़कियों वाले कपडे क्यों नहीं पहनती “
फिर प्रिया ने कहा की
” ये जो कपडे मैंने पहने है वो लड़कियों वाले ही है “
” अरे मेरा मतलब ये जीन्स, लेग्गिंग्स और टॉप छोड़के दूसरे कड़पे जैसे की सलवार सूट, कुर्ती “
” वैसे कपडे मुझे पहनना पसंद नहीं मुझसे संभाले नहीं जाते वैसे तुम ये जानके क्या करने वाले हो “
” नहीं यार ऐसे ही मुझे यह देखना है की तुम सलवार पहनके कैसे दिखती हो “
” ठीक है फिर चलो तुझे देखने की इच्छा है तोह “
” कहा ? “
” मेरे घर. . . ” प्रिया ने कहा
” मैंने मना करन रहा था, परन्तु प्रिया ने मुझे स्कूटी पे बिठाके जबरदस्ती लेके गयी “
” अरे प्रिया ऐसा मत करो ना तेरे घर वाले क्या सोचेंगे “
” तू डर मत कुछ नहीं होगा “
लगभग १० मिनट में हम दोनों प्रिया के घर पहुँच गए। मेरी आँखे फटी की फटी ही रह गयी। मेरे आँखों के सामने २ मंजिलो वाला आलीशान बंगला था। प्रिया ने हॉर्न बजाया एक सिक्योरिटी गार्ड गेट पर आया और गेट खोल दिया फिर प्रियाने स्कूटी अंदर लेकर पार्क कर दी। इतना बड़ा आलीशान बंगला मैंने जिंदगी मैं पहली बार देखा होगा। तभी प्रिया ने मुझे आवाज दी,
” अब अंदर चले, क्या यही पे खड़े रहने का इरादा है ? “
फिर हम अंदर चले गए बंगला देखकर मेरा मुँह बड़ा हो गया मैंने घर की तारीफ़
की प्रिया ने ” थैंक्स ” कहा, तबतक प्रिया की माँ वहां पे आयी और प्रिया से कहा
” आ गयी तू “
” हां मम्मी इससे मिलो ये मेरा कॉलेज का दोस्त है गीतेश “
मैंने हाथ जोड़के नमस्ते करते हुए कहा
” हेलो आंटीजी “
उन्होंने में मुझे हेलो कहा, फिर प्रिया ने अपनी माँ से कहा की
” मम्मी चाची को बोलो दो ग्लास जूस मेरे कमरे में भेज दो “
” ठीक है बेटा और कुछ चाहिए ? “
” तू कुछ खायेगा ? ” प्रियाने मुझसे से पूंछा
मैंने ” नहीं ” कहा
( आगे बढ़ने से पहले प्रिया एक अमिर घर की लड़की हैं उसके रहन सहन से कोई नहीं पता लगा सकता था की प्रिया इतनी अमिर है। वो साधारण तरीके से रहना पसंद करती है। उसकी सहेलिया भी उसके बारे मैं ठीक से नहीं जानती। अगर वो चाहे हो हर दिन वो महँगी गाड़ी में कॉलेज आ जा सकती है। प्रिया के परिवार में मम्मी पापा और १ बड़ा भाई है प्रिया के पिताजी ने बोहोत मेहनत करके ये सब कमाया था वो और प्रिया का भाई मिलकर बिज़नेस चलाते है। इसके अलावा २ नौकरानी है उनमे से एक उनके ही घर में रहती है, एक तरह से वो उनकी परिवार ही है और दूसरी दिन से दोपहर तक आया करती है, २ सिक्योरिटी गार्ड बारी बारी से शिफ्ट करते है, और एक ड्राइवर है। प्रिया सबकी लाड़ली है सब उसे बोहोत प्यार करते है। )
फिर प्रिया और मैं उसके कमरे की तरफ निकल गए बंगले में अंदर से ही सीढ़ी थी प्रिया का कमरा पहली मंजिल पर था। प्रिया ने दरवाजा खोला फिर हम दोनों अंदर चले गए। मुझे जैसे बिजली का झटका लगा हो हमारा जितना बड़ा घर है उससे भी बड़ा प्रिया का बैडरूम था। प्रिया ने कहा
” वेलकम टू माय बेडरूम “
” ओह्ह प्रिया मैंने सपने में भी नहीं सोचा था की तुम्हारा इतना बड़ा घर होगा “
” अरे इतना मत सोचो आओ बैठो “
” मैं खुदको भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि तू मेरी दोस्त है “
मैं ५-१० मिनट तो उसके घर की ही तारीफ़ कर रहा था तभी प्रिया ने उसकी अलमारी खोली उसकी अलमारी तो रंगबेरंगी कपड़ो से भर पड़ी थी। तभी एक नौकरानी वहां जूस लेके आयी हमारे हाथ में देके वहा से चली गयी फिर उसके बाद प्रिया ने रूम का दरवाजा अंदर से बंद करदिया। उसके बाद मैं उठकर प्रिया की अलमारी की तरफ बढ़ा। उन कपड़ो को देख कर मेरे अंदर की लड़की बनाने की भावना बढ़ने लगी । मैंने उन कपड़ो को हाथ लगाके देखा प्रिया ने मुझसे कहा की
” अब बोलो कोनसी ड्रेस में देखना चाहते हो “
मैंने एक नीला-हरा अनारकली सूट निकाला
” लो ये पहनके दिखाओ “
प्रिया के बैडरूम में बाथरूम भी था तो वो ड्रेस लेकर वहा चली गयी तब तक मैं प्रिया के कलेक्शन को देख रहा था मन कर रहा थी की १ ड्रेस मैं भी पहनलू। मैं दूसरे के घर में था मैं खुद की प्रतिमा नहीं गिराना चाहता था। इसलिए मैंने खुद पर थोड़ा नियंत्रण किया। ३-४ मिनट में प्रिया बाहर आ गयी।
” कितनी सुन्दर दिख रही हो प्रिया “
” इतनी भी तारीफ़ मत कर गीता, तुझे इन में से कोई ड्रेस पहननी है ? “
” अरे यार ये नाम से मत बुलाओ, मुझे अच्छा नहीं लगता “
” ठीक है, देख ये मौका फिरसे नहीं मिलेगा बोल “
” नहीं प्रिया तुझे पता है न मैं ये सब क्यों कर रहा हु, वो छोड़ो क्या में तेरी १ फोटो ले सकता हु ? “
” ठीक है लेलो “
” तू हर दिन टॉप और जीन्स नहीं तोह लेग्गिंग्स पहनके आती है, ऐसे ड्रेस में कभी देखने का मौका नहीं मिला, इतने सारे ड्रेसेस है तेरे पास. . . . “
” मैंने पहले ही कहा था की ये सब मुझसे संभाला नहीं जाता इसलिए “
” कोई बात नहीं चलो १ अच्छी सी पोज़ दो “
प्रिया ने एक पोज़ दी जिसमे उसका दुपट्टा १ बाजु से कंधे पर छोड़ दिया था तभी मैंने उसकी फोटो लेली। मैंने युही प्रिया से पूंछा की
” मुझे १ बार तुझे साड़ी में देखना है “
” साड़ी वाड़ी के चक्कर में मैं नहीं पड़ती, अगले महीने में मेरे भाई की शादी है मम्मी मुझे हल्दी की रसम में साड़ी पहनने को कह रही है शायद उस दिन पहनुंगी “
” फिर मुझे कैसे देखनेको मिलेगा “
” तू टेंशन मत ले मैं तुझे निमंत्रण कार्ड दूंगी, कॉलेज मैं इस बात का किसीको पता नहीं चलना चाहिए ये सिर्फ तेरे मेरे बिच रहेगा, कॉलेज से मैं किसीको नहीं बुलाने वाली “
” ओके डन, चल बोहोत देर हो रही है मुझे निकलना पड़ेगा अब “
” रुक मैं चेंज करके आती हूँ “
प्रिया चेंज करके आती है फिर हम निचे चले आते है। प्रिया की माँ वहा बैठी हुयी, एक मैगज़ीन पढ़ रही थी। मेरा ऐसे प्रिया के घर आना, ऊपर से प्रिया मुझे सीधे उसके कमरे में लेके जाती है, ये जैसे उनके लिये मामूली बात थी।
मैंने आंटी को दूर से ही स्माइल देकर बोला
” बाय आंटी जी “
आंटी ने भी मुझे स्माइल देके बाय किया। उन्होंने देखा की प्रिया भी मेरे साथ आ रही है।
” तु कहा निकली ” आंटी ने प्रिया से पूंछा
” मैं गीतेश को घर छोड़ कर आती हूँ “
” एक काम करो तुम दोनों कार से चले जाना धुप बोहोत होगी दोपहर है “
फिर हम ड्राइवर के साथ कार में बैठ कर निकल पड़े मैंने प्रिया को २०० मीटर दूर ही कार रोकने को कहा। प्रिया को अलविदा कर के वहा से मैं चलकर घर गया घर के यहाँ मुझे कार से निकलते हुए किसीने देखा तो कुछ और ही सोच लेगा इसिलिये। घर आने के बाद मैंने खाना खाया। प्रिया को ड्रेस में देखकर मेरा साड़ी पहननेका मन कर रहा था। मैंने अलमारी से साड़ी निकली फिर मैंने माँ से पुछा की
” माँ आप दिखाने वाली थी ना पेटीकोट का नाडा कैसे बांधते है “
” हाँ अगले सोमवार को दिखा दूंगी “
” नहीं मुझे अभी दिखाओ ” मैंने जिद करते हुए कहा
” ठीक है बाबा “
फिर माँ ने दिखा दिया की पेटीकोट का नाडा कैसे बांधते है, गाँठ खोलने में भी आसान है। मैंने देख के २-३ बार ट्राय करके में सिख गया फिर मैंने ब्लाउज और साड़ी उठायी माँ ने देखा
” अब क्या साड़ी पहनेगा ? “
” हाँ मेरा मन कर रहा है “
” हाय राम ” मेरी माँ ने खुदके मुँह पे हाथ रखते हुए कहा
फिर वो टीव्ही देखने चली गयी। लगभग १० मिनट में मैंने साड़ी पहनली और खुद से तैयार हो गया। उसके बाद मैंने देखा की माँ सोफे पर बैठी है। मैं चलकर माँ के पास गया, माँ ने पायल की आवाज सुन ली उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, माँ के चेहरे पर अनोखी ख़ुशी देखी, फिर मैं माँ के बाजु में जाके बैठ गया। माँ ने मेरी तारीफ की उसके बाद माँ ने मुझे पकड़ कर गले लगाया। उसके बाद हम दोनों टीव्ही सीरियल देखने लगे।
शाम को पिताजी आने से पहले मैंने साड़ी उतार दी। शाम को थोड़ी पढाई कर ली। फिर रात को खाने के बाद मैं और प्रिया ने फ़ोन पर बाते की उसके बाद में सो गया।
दिन बीत रहे थे तीसरा सोमवार आ गया। उस दिन मैंने माँ से कोई मदत नहीं ली खुद से ही तैयार हो गया। ब्रा-पैंटी-ब्लाउज-पेटीकोट-साड़ी सब अलंकार पहने, विग पहना, हल्का मेकअप किया और पूजा के लिए चला गया। माँ किचन में काम कर रही थी मैंने पूरी श्रद्धा से पूजा सम्पन्न की फिर हर सोमवार की तरह पूजा की थाली पूरी घर में घुमायी।
कॉलेज के बाद प्रिया ने मुझे घर जा कर मुझे वीडियो कॉल किया।
” आज कौनसी साड़ी पहनी है गीता “
” आज मैंने पैठनी सिल्क साड़ी पहनी हैं “
” तु मुझे ठीक से दिख नहीं रहा है “
मेरा फ़ोन का कैमरा थोड़ा कम क़्वालिटी का था तोह वीडियो कॉलिंग ठीक नहीं दिख रही थी प्रिया को। मैं उसे घर आने के लिये कहा वो बोली की
” आज नहीं अगले सोमवार को आउंगी, आज मुझे थोड़ी थकावट सी महसूस हो रही है “
” मैंने ठीक है कहा “
१२ के बाद मैंने सुबह पहनी हुई साड़ी उतार दी फिर मैंने एक घरेलु साड़ी पहन ली। फिर मैंने माँ से कहा की कुछ मदत चाहिए तो मुझसे कहो।
” अरे बेटा तू आराम कर मैं सब कर लुंगी “
” देखो आज मैं आपकी बेटी हूँ, अगर बेटी माँ के काम में मदत न करे तो वो बेटी किस काम की ? “
” ठीक है फिर ये बर्तन धोके दे “
मैं पहली बार घर के कामो में माँ की मदत करने जा रहा था वो भी साड़ी पहनके। सब धोने वाले बर्तन एक जाली में रखे थे। मैंने वो सब उठाके बाथरूम में लेके गया फिर बाथरूम ने नहाने वाले छोटे टेबल पर बैठा तो मेरी साड़ी बाथरूम के फ्लोर पर लग के भीग गयी मेरा पल्लू भी पीछे से भीग गया, फिर माँ वहा आयी उन्होंने देखा की मैंने साड़ी एडजस्ट नहीं की थी। फिर माँ ने मुझे खड़े होने के लिए कहा। उसके बाद माँ ने मुझे दिखाया की काम करते वक़्त साड़ी के पल्लू को दाहिने हाथ से आगे करके बाहि कमर के निचे पेटीकोट के अंदर डालते है और प्लेट्स को पेटीकोट के साथ उठाकर वैसे की वही जगह घुसाने को कहा अब मेरे पैर आधे दिख रहे थे। अब माँ ने मुझे बैठने को कहा। मैंने बैठके देखा तो साड़ी जमीन को स्पर्श भी नहीं हो रही थी। तभी मैंने माँ की तरफ देखकर स्माइल देदी माँ ने भी मुझे स्माइल दी और वो वहा से चली गयी। फिर मैंने पुरे बर्तन धो दिए मुझे औरत होने का अहसास होने लगा। बर्तन उठाकर मैंने किचन में जाके रख दिए। बालो वाला विग मुझे थोड़ा परेशान कर रहा था मेरा मतलब वो मेरे सर पर टिक नहीं पा रहा था इसीलिए। मैंने सोच लिया की आजसे मैं सर के बाल नहीं काटूंगा मैं बाल बढ़ाऊंगा। तब तक माँ ने मुझे देखा और बोली
” इतनी जल्दी धो दिए सब बर्तन “
” हाँ माँ और कुछ काम है तो बता दो “
” खुद की तरफ तो देख लो एक बार तेरी पूरी साड़ी भीग गयी है “
” हाँ वो तो आपके बताने से पहले ही भीगी थी “
” चल दुसरी साड़ी पहन ले ये उतार दे “
आज का दिन एक ऐसा दिन था जिस दिन मैंने ३ साड़ियां बदल के पहनी। माँ ने मुझे पेटीकोट के साथ साड़ी देदी, मैं ५ मिनट में बदल कर हॉल में आ गयी।
” अरे वा इतनी जल्दी पहनली साड़ी “
” हाँ माँ अब आदत सी हो गयी है मुझे, पता नहीं क्यों मुझे साड़ी पहनके अलग महसूस हो रहा है “
” क्या महसूस करती है तू, जरा मुझे भी पता चले “
” कुछ नहीं माँ ऐसा लग रहा है की कल भी मैं साड़ी पहनू, उसके अगले दिन भी, पूरा दिन साड़ी में ही रहनेका मन कर रहा है “
” जिस दिन बाबा ने ये बात कही थी तोह तू बाबा को गालियां दे रहा था, देख ये सब अपने परिवार पै आने वाले संकट को टालने के लिए कर रहे है, तेरे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है, भविष्य कुछ कर दीखनेका का मौका है इसे ऐसे ही मत जाने देना “
माँ के इस भाषण पर मैंने इतना नहीं सोचा फिर हम दोनों टीव्ही देखने लगे। पिताजी घर आने का समय हो चूका था। माँ फ्रेश होने गयी तभी दरवाजे को घंटी बजी, मैं दरवाजे के पास गया, दरवाजे पर देखके के लिए जो छेद था उसमे देखा तो पिताजी थे, फिर मैंने साड़ी एडजस्ट करली और दरवाजा खोल दिया। मैंने देखा ही पिताजी कुछ ज्यादा ही खुश दिख रहे थे।
” अरे गीतेश, सुधा कहा है. . . . . . सुधा ओ सुधा “
” आजी आयी इतना शोर क्यों मचा रहे हो ” माँ अपनी साड़ी सँभालते हुए किचन से आयी
मैंने दरवाजा बंद कर दिया
” एक खुशखबरी है, मुझे प्रमोशन मिल गया, ये लो मिठाई लायी है भगवान् के सामने रख दो “
” सच ये तो बोहोत ख़ुशी की बात है “
मैं वही खड़ा माँ पिताजी को देख रहा था। कितने खुश दिख रहे थे दोनों, उनको देखके मेरी आँखों में पानी आने लगा था। माँ ने मेरी तरफ देखा मेरी आखों में पानी आ रहा था।
” अरे गीता तू क्यों रो रही है “
” कुछ नहीं माँ आप दोनों को ऐसे खुश देखकर मेरी आँखे भर आयी “
माँ ने मेरे पास आकर मुझे कसके गले लगाया।
” ऐसे मौके पर रोते नहीं बेटा ये सिर्फ तेरी वजह से हुआ है। ये सब तेरी श्रद्धा की वजह से हुआ है। ये ले मिठाई देवी माँ के सामने रख दे। “
मैंने मिठाई का डिब्बा देवी माँ की सामने रखा फिर माँ ने मेरे हाथ में एक प्लेट और चम्मच दिया उसमे शक्कर थी माँ ने कहा की जाओ अपने पिताजी को देकर उनका मुँह मीठा करो ये ख़ुशी का दिन है। मैंने पिताजी और माँ को चमचे से शक्कर खिलाई उसके बाद माँ ने वो प्लेट लेके मुझे शक्कर खिलाई। रात को मैंने उपवास तोडा और सबने मिठाई खा ली। खाने के बाद मैंने प्रिया को कॉल किया आज श्याम को जो कुछ भी हुआ मैंने उसे बता दिया। प्रिया
” क्या तुझे लगता है की ये सब तेरी वजह से हो रहा है “
” प्रिया मुझे भी नहीं लगता, परंतु मेरी माँ को लगता है “
कुछ थोड़ी देर और बाते करके मैं सोने चला गया।
” गीता आज भी तू साड़ी में ही सोयेगी ? “
” नहीं माँ आज में आप जो दे वही पहनकर सो जाउंगी “
” ठीक है रुक मैं लेके आती हूँ “
फिर माँ ने मुझे सतिन कपडे वाली मैक्सी (night dress) मेरे हाथ में देदी माँ ने मुझे पैंटी छोड़कर सब उतारने को कहा फिर में बाथरूम चला गया और साड़ी ब्लाउज पेटीकोट ब्रा सब उतारकर मैक्सी सर के ऊपर से पहन ली। वो कपडे के स्पर्श से मेरे रोंगटे खड़े हो गए। वो कपडा जैसे मेरे बदन से घिस रहा था मुझे स्वर्ग में होने वाली फीलिंग दे रहा था। फिर मैं बहार आया
” माँ मुझे पसंद आयी ये ड्रेस “
” देख आज इस ड्रेस में कैसे नींद आती है “
फिर मैं मैक्सी पहनकर सो गया। अगले दिन सुबह उठकर नहाने चला गया, नहाने के बाद मैंने वही पैंटी पहन ली। पैंट चढ़ाते वक़्त माँ ने मुझे देख लिया ,
” अरे गीतेश ये क्या पहना है तूने “
” माँ आज से मैं मेल अंडरवियर नहीं पहनूंगा, मैं सिर्फ पैंटी ही पहनूंगा मुझे इसमें अच्छा और आरामदायक महसूस होता है “
माँ कुछ कर ही नहीं सकती थी क्योकि माँ को पता है की सच में ही पैंटी में आरामदायक महसूस होता है। जिस ने एकबार पैंटी पहन ली तोह उसे वह बार बार पहनने की इच्छा होती है मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
कॉलेज में पहला लेक्चर शुरू ही हुआ था, टीचर ने मेरी कंप्लेंट प्रिंसिपल मैडम से कर दी थी की गीतेश पिछले ३ सोमवार से कॉलेज नहीं आ रहा है। मुझे प्रिंसिपल के ऑफिस में जाके प्रिंसिपल महोदया से मिलने जाना पड़ा। मैडम ने मुझे बोहोत सुनाया की क्यों तुम हर सोमवार को कॉलेज नहीं आहे, कल पेरेंट्स को लेकर आना फिर उसके बाद ही क्लास में बैठने को मिलेगा। सुबह सुबह मेरा खिला हुआ चेहरा मुरझा गया। वही चेहरा लेकर में क्लास में आके प्रिया के बाजू में जाके बैठ गया। प्रिया मुझसे बार बार पूँछ रही थी की क्या हुआ प्रिंसिपल मैडम ने क्या कहा। मैंने लंच टाइम में जो कुछ हुआ वो सब प्रिया को बताया।
” बस यही रुक मेरे डैड और प्रिंसिपल मैडम फ्रेंड्स है, में पापा को कॉल करके ये समस्या का हल निकलती हूँ “
मैंने प्रिया को मना किया, ” कल जो होगा वो देखा जायेगा “
कॉलेज छूटने ले बाद मैं घर चला गया इस बार मैंने प्रिया को बहाना बनाके घर ड्राप करने के लिए टाल दिया और जाते वक़्त कहा की आज कॉल मत करना। मैं थोड़ा उदास था। माँ ने मेरी उदासी चेहरे से पढ़ ली।
” क्या हुआ बेटा तुम इतने उदास क्यों हो, साड़ी पहनोगे ? “
” नहीं माँ ये बात नहीं है “
फिर मैंने आज कॉलेज में क्या क्या हुआ वो सब बता दिया। माँ भी थोड़ी विचार में पड गयी। ठीक है कल चलते है मैडम से मिलने।
अगले दिन मैं और माँ एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए। मैडम अब तक आयी नहीं थी। १५ मिनट तक हम दोनों प्रिंसिपल मैडम के ऑफिस के बहार उनकी आने की राह देख रहे थे। थोड़ी देर में मैडम आजाती है फिर मैडम हम दोनों को अंदर बुला लेती है। अंदर जाते ही प्रिंसिपल महोदया माँ से सवाल पूंछती है की
” क्या आपको पता है आपका बेटा पिछले ३ सोमवार से कॉलेज नहीं आ रहा है, क्या ये घर से बताकर निकलता है ? आपको तो पता है मुझे क्या कहना है। आज कल के लड़को को कौनसी कौनसी आदते लग जाती है हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। प्रेसेंटी के मामले में मैं थोड़ी सख्त हूँ। “
फिर माँ मैडम से पूंछती है की
” क्या हम दोनों अकेले में बाते कर सकते है ? “
मैडम मुझे बहार रुकने को कहती है। करीब आधे घंटे तक वो एक दूसरे के साथ बाते कर रहे थे। और मैं यहाँ बहार बैठा नाखून चबा रहा था। फिर अंदर से प्रिंसिपल महोदया की आवाज आती है की,
” गीतेश अंदर आजाओ “
उसके बाद मैं अंदर चला जाता हूँ, मैंने देखा की दोनों हंस रहे थे।
” गीतेश तुम्हारी माँ ने मुझे सब बता दिया है की तुम सोमवार कॉलेज क्यों नहीं आ रहे थे, अगले आने वाले ८ सोमवार भी तुम कॉलेज नहीं आ पाओगे। मुझे नहीं पता था की परिवार के लिए तुम ऐसा कदम उठा सकते हो, मैं कुछ और ही सोच रही थी। अब कोई टीचर तुमसे सवाल नहीं करेगा ये मेरी जिम्मेदारी। मैं समझ सकती हूँ की तुम किन हालातों से गुजर रहे हो, अपने माता पिता के लिए ये सब करना मेरे लिए बड़ी बात है। “
माँ ने उनका धन्यवाद किया, प्रिंसिपल मैडम ने मुझे १ बिनती करी की उनको मेरा साड़ी पहने हुए फोटो देखना था। मैं उसी समय मेरे जेब से फ़ोन निकाल कर पहले सोमवार की वो फोटो उन्हें दिखा दी। मैडम ने मेरी बोहोत तारीफ़ की मैंने उनको धन्यवाद किया उन्होंने मुझे क्लास में जाने के लिए कहा और माँ घर चली गयी। मेरा मूड फिर से अच्छा बन गया था। में बिच क्लास में ही टीचर को पूँछ के क्लास में गया और प्रिया के बाजु में जाके बैठ गया। लंच टाइम में मैंने प्रिया को ये सब बता दिया।
अब मैं सोच में था की कैसे माँ ने प्रिंसिपल महोदय को मनाया होगा। कॉलेज छूटने के बाद प्रिया ने मुझे घर ड्राप किया। हमने एक दूसरे को बाय कहा वो चली गयी । मैं ये जानने के लिए बोहोत उत्सुक था। घर जाते ही मैं माँ को पकड़ कर सोफे पर बिठाया। और पूंछा ये सब कैसे किया आपने,
” अरे मैंने कुछ नहीं किया बल्कि मैंने सब सच सच बता दिया जो कुछ भी चल रहा है , वो मैडम भी इन सब बातों को मानती है “
ये सुनकर मुझे जैसे शॉक लगा की इतनी पढ़ी लिखी महिला इन सब बातों को मानती है।
” मेरा इसपर विश्वास ही नहीं हो रहा माँ “
माँ ने मुझे कहा की
” बेटा अनुभव सिखाता है की किन बातो पर विश्वास रखना चाहिए और किन पर नहीं “
” हो सकता है, मुझे भी विश्वास नहीं था परंतु जैसे दिन बीत रहे है अब थोड़ा थोड़ा होने लगा है “
” चल में खाना लगा देती हूँ “
खाना खाने के बाद मुझे लड़की बनने की इच्छा हो रही थी मैंने माँ से वही मैक्सी मांग ली माँ ने देभी दी । कल रात की अधूरी नींद थी, दोपहर को वही मैक्सी डालके में सो गया।
गीतेश को याने की मुझे अब लड़कों के कपड़े में घुटन सी महसूस होने लगी। मैंने माँ से कहा की अब से हर दिन रात को मैंने नाईट ड्रेस पहनकर सोऊंगा। उस दिन पिताजी ने मुझे मैक्सी में देख लिया और उस दिन सोमवार भी नहीं था। परन्तु उस रात कोई बाते नहीं हुयी।
अगले दिन सुबह मेरी नींद खुल गयी तोह मैं सुना की माँ-पिताजी की हॉल में कुछ बहस चल रही थी। मैं छुपकेसे बैडरूम के दरवाजे के पास जा कर थोडासा दरवाजा खोल कर उनकी बाते सुनने की कोशिश की,
” अरे वो लड़का है तुम ऐसे-कैसे उसे लड़कियों के पहनने पहनने की इजाजत दे सकती हो सुधा, सोमवार के दिन मैंने कुछ कहा तुमसे नहीं ना ? “
” हाँ मुझे पता है जी मैं समझाउंगी उसे ” माँ ने शर्मिंदा होके कहा
” जरा ध्यान दो उसपर उसका भविष्य मत ख़राब करो “
वो बाते सुनकर मेरी मनःस्थिति ख़राब हो गयी। फिर अगला सोमवार आने तक मेरी एक भी दिन साड़ी पहनके की ईच्छा नहीं हुयी। प्रिया भी मुझे देख कर बार बार पूंछती रही की क्या हुआ। परंतु मैंने उसे इसके बारे में कुछ नहीं कहा, प्रिया ने बोहोत प्रयास किया मुझे खुश करनेका उसका कोई फायदा नही हुआ। माँ ने भी देखा की मैं आज कल उदास उदास बैठा रहता हूँ। माँ मुझे हर दिन आके पूंछती रही की
” क्या हुआ ऐसे नाराज होके क्यों बैठा है प्रिया ने कुछ कहा क्या ? “
” नहीं माँ वो बात नहीं है “
” तो क्या बात है बताओगे नहीं माँ को, तुझे साड़ी पहननी है ? “
” नहीं माँ दरअसल मैंने उस दिन की सुबह आपकी बाते सुन ली थी, मेरा ऐसे साड़ी पहनना उनको पसंद नहीं है, शायद वो भी सही है क्यों की मैं एक लड़का हूँ, भला कोनसा लड़का ऐसे लड़कियों के कपडे पहनता है। “
ये बात है, ठीक है आज पिताजी को आने दो में उनसे बात करुँगी। फिर शाम को पिताजी ने काम से आने के बाद थोड़ा आराम किया, फिर माँ उनके पास चली गयी, में बैडरूम में दरवाजे के बाजू में खड़ा था उनकी बाते सुनने के लिए।
” ए जी सुनते ही “
” बोलो क्या हुआ ? “
” उस दिन जो हमने सुबह बाते की वो गीतेश ने सुनली वो कह रहा है की आजसे वो साड़ी और लड़कियों वाले कपडे नहीं पहनेगा “
” हाँ तोह अच्छी बात है “
” तोह फिर अच्छी बात ये है की वो बोला की सोमवार को भी नहीं, अगर घर पर कुछ आफत आती है तोह उसके जिम्मेदार आप होंगे “
” भला मैं कैसे जिम्मेदार हुआ ? “
” तो फिर कौन जिम्मेदार होगा, वो अच्छे से पूरी श्रद्धा से हर सोमवार को पूजा करता आ रहा है, और उसकी वजह से आपको प्रमोशन भी मिला है, अगर अगली सोमवार को गीतेश पूजा करने के लिए तैयार नहीं हुआ तोह मैं आपसे पूजा करवाउंगी वो भी साड़ी पहनाकर “
” ये क्या कुछ भी बके जा रही हो, करो जो करना है अबसे मैं कुछ नहीं कहूंगा माफ़ कारदो मुझे “
( पिताजी को पता है की अगर माँ से ज्यादा बहस की तो माँ के मुँह से सिर्फ ये शब्द निकालेंगे की ” मैं मायके जा रही हूँ ” इसलिए उन्होंने माफ़ी मांगकर ये चर्चा ख़तम करनी चाही )
माँ ने कहा की
” माफ़ी मेरे से नहीं गीतेश से मांगो, गीतेश जरा यहाँ तो आओ. . . . . “
मैं हॉल में आया
” क्या हुआ माँ “
” देख जरा पापा को तुझसे कुछ बात करनी है “
तभी पापा ने मेरे और देखकर हाथ जोड़े मैं तुरंत उनके हाथ पकडे और बोला
” ये सब क्या है ? “
” बेटा मुझे माफ़ करदो “
” पिताजी आपको माफ़ी मांगने को कोई जरूरत नहीं है, आपने कोई गलती नहीं की है, आपने तो मेरे भले के लिए कहा था, आपको ये सब करने की कोई जरूरत नहीं। भला मैं कोन होता हूँ जो अपने पिताजी को माफ़ करे ” ये सब कहते हुए मेरे आँखों में पानी आने लगा, उसके बाद मैं तुरंत अपने कमरे में जाकर फुट फुट कर रोने लगा।
तभी वहा पे माँ आ गयी वो मेरी पीठ सहलाने लगी। तभी मैंने माँ से रट हुए कहा की
” माँ आपने ऐसा क्यों किया “
” मैंने क्या किया “
” पिताजी को मेरे से क्यों माफ़ी मांगने को कही ? “
” गलती की आसान सजा तो माफ़ी ही है ना ? कभी कभी इंसान को माफ़ी भी मांगनी चाहिए। “
” और मैंने कब कहा था की अगले सोमवार को में पूजा नहीं करने वाला “
” अरे वो तोह बस डराने के लिए कहा था, उनको भी थोड़ी परिस्थिति समझ आये इसीलिए “
उस दिन के बाद मेरी मनःस्थिति फिर से आनंदीत हो गयी। उस दिन की रात प्रिया और में देर तक फ़ोनपर बाते करते रहे। मेरे बात करने के तरीको से उसे पता चल गया की मेरा मूड फिर से ठीक हो गया।
२ दिन बाद सोमवार आया, ये चौथा सोमवार था इस दिन मैंने लाल सिल्क साड़ी पहनी। मुझे सिल्क से ज्यादा घरेलु साड़ी पहनने की इच्छा थी। हर सोमवार की तरह इस सोमवार को भी माँ को मुझे कुछ मदत करने की जरूरत नहीं पड़ी। १२ के बाद मैंने घरेलु शिफॉन साड़ी पहनी क्या अलग ही साड़ी थी। इस प्रकार के साड़ी का में पहली बार अनुभव ले रहा था , वो साड़ी जैसे मेरे पेट और बदन को स्पर्श कर रही थी वैसे मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे। मेरे अंदर औरत बनने की इच्छा बढ़ने लगी फिर मैं कीचन में गया माँ वहा खाना बना रही थी। मैंने माँ से पूंछा की
” माँ मुझे कुछ काम दो करने के लिए “
” सॉरी बेटा आज मैंने सारे काम कर दिए “
” क्या माँ ये ठीक नहीं है, अगर आपने बेटी को काम करने नहीं कहा तो बैठे बैठे सुस्त हो जाएगी “
” ठीक है बेटा अगले सोमवार से तेरे लिए कुछ काम छोड़ दूंगी “
” अब अगले सोमवार की राह क्यों देखे, कल से क्यों नहीं ? मुझे अच्छा लगेगा आपकी कामो में हाथ बटाकर “
” चलो आजाओ फिर में दिखती हूँ की खाना कैसे बनाते है। “
फिर माँ ने मुझे खाना कैसे बनाते है सीखाना शुरू किया बेसिक दाल चावल, मैंने उस दिन सिर्फ देखने का काम किया। माँ मुझे दिखा रही थी की नमक कितना लेते है ये सभी चीजे, आधे घंटे में माँ ने खाना बना लिया। मेरा तोह उस दिन उपवास था। माँ ने खाना खाया और मैंने कुछ फल खाये।
खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठकर टीव्ही देख रहे थे। १५-२० मिनट के बाद दरवाजे की घंटी बजती है। वो आवाज सुनकर में डर जाता हूँ उसके बाद में फटाफट उठकर बैडरूम में भागता हूँ, मेरे चले जाने के बाद माँ दरवाजा खोल के देखती है। तो उनके सामे एक औरत खुले बाल, आँखों पर गॉगल्स कुर्ती पैंट पहने एक तरफ कंधे पर दुपट्टा पहनी हुयी खड़ी थी। तभी माँ ने उनसे पूंछा
” कौन है आप, आपको क्या चाहिए ? “
उसी समय वो औरत के पिछेसे प्रिया माँ के सामने आती है
” सरप्राइज आंटीजी “
तभी प्रिया बताती है की वो औरत और कोई नहीं प्रिया की माँ है। उसके बाद माँ उन्हें घर में बुलाती है। मैं बैडरूम में से छुपकेसे देख रहा था की प्रिया आयी है पर उसके साथ उसकी माँ भी आयी है, तो मैं थोड़ा उलझन में पड़ा की प्रिया माँ को लेके सोमवार के दिन क्यों आयी है, क्या उसने मेरी ये बात उसके माँ को तो नहीं बतायी ?, माँ उनके लिए पानी लेके गयी। प्रिया ने मेरी माँ से पूंछा की
” गीता कहा है ? “
” है अंदर बैठी है ” तभी माँ मुझे आवाज लगाती है गीता बेटा देखो कोण आया है,
मेरी दिल की धड़कन बढ़ रही थी अब क्या करु, प्रिया के माँ के सामने मुझे साड़ी में ही जाना पड़ेगा। मैंने फिर मंगलसूत्र उतारकर नेकलेस पहन लिया अगर वो मुझे मंगलसूत्र पहने हुए देख लिया वो मुझे शादीशुदा समझेगी इसलिए। फिर साड़ी एडजस्ट करके मैंने दरवाजा खोला और उनके सामने चला गया।
वैसे प्रिया के माँ का नाम कविता है। उन्होंने मुझे शिफॉन साड़ी पहने हुए देखा वो मेरी तरफ देखती ही रह गयी उन्होंने मेरी तारीफ़ करी, वो थोड़ी उलझन में थी। उन्होने मेरी माँ से पूंछा की,
” गीतेश और गीता जुड़वा है क्या ? “
तभी प्रिया बिच में बात करती है
” उफ़ माँ ये गीतेश ही है “
तभी में शर्म से मारे लाल हो गया था। मैं किसीसे आँखे मिलाने की स्तिथि में नहीं था।
” देखो तो गीता कैसे शर्मा रही है ” प्रिया ने कहा
प्रिया की माँ कविता को तो माने जोरो का झटका लगा हो। तभी कविता जी ने मेरी माँ संध्या से पूंछा की ये सब क्या है। तभी वो दोनों बाते करने लगे मेरी माँ ने उनको सब बता दिया की ये सब कैसे शुरू हुआ। लगभग आधा घंटा बीत गया उनको सब समझने में, उसके बाद कविता जी ने मेरी तरफ देखकर प्यारी सी स्माइल दी।
” अभी में समझी की प्रिया ने मुझे २ साड़ियां क्यों लेने को कही “
” जी में समझी नहीं ” मेरी माँ संध्या
तभी उन्होंने अपने बेटे की निमंत्रण पत्रिका निकाली और १ बैग जिसने २ साड़ियां थी वो मेरी माँ के हाँथ में देदी और कहा
” अगले महीने में मेरे बेटे की शादी है और आपको पुरे परिवार समेत आना है “
” हाँ जी हम जरूर आएंगे परन्तु ये साड़ीयाँ “
” परंपरा है रख लो जी, दोनों साड़ियां प्रिया के पसंद की है वैसे भी वो कभी खरीदारी करने नहीं आती परन्तु उसने पहली बार खुदके, गीता मेरा मतलब गीतेश और आपके लिए साड़ी चुनी है। “
ये बात सुनके माँ ने ख़ुशी ख़ुशी साड़ियां लेली। और वो दोनों निकल गए, प्रिया ने जाते जाते छुपकेसे मेरी गाल की पप्पी लेली। में भी उसकी पप्पी लेना चाहता था परंतु ऐसा नहीं हुआ। फिर शाम हो गयी, पिताजी घर आये मैंने पिताजी चाय देदी उन्होने ने मेरी तरफ देखा और स्माइल किया। मुझे इशारा मिल गया की अब मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साड़ी पहनने में, आज रात को खाना खाके मैंने प्रिया को कॉल किया हमने ज्यादा बाते नहीं की १० मिनट में प्रिया ने फ़ोन काटते वक़्त ” आय लव यू ” कहा और मैंने भी उसे ” आय लव यू टू ” कह दिया। मुझे भी प्रिया से प्यार होने लगा था, मुझे यह पता नहीं था की वो भी अब मुझसे प्यार करने लगी है। तभी माँ वहा नाईट ड्रेस लेकर आती है।
” माँ में आज साड़ी में ही सोने वाली हूँ “
” अरे बेटा मेरी बात तो सुनो “
” नहीं माँ किंतु-परंतु कुछ नहीं “
शिफॉन साड़ी का स्पर्श मुझे अच्छा लग रहा था इसीलिए मैंने आज वही साड़ी में सोने का निर्णय लिया।
हर दिन की तरह अगले दिन में कॉलेज गया और इस दिन मैने फॉर्मल पॅन्ट पहनी थी और अंदर पँटी, मेल अंडर गारमेंट पहनना मैने बोहोत दिन पहले से ही छोड दिया था। कॉलेज मे लंच ब्रेक मे प्रिया और में वही वाली जगह बैठे ठे। प्रिया ने अपने सहेलियों के साथ बैठना बंद किया था और यहां मैंने अपने दोस्तों के साथ। मेरे कई दोस्त मुझे तो गुस्से वाली नजर से देखते थे। उन में से काफी दोस्तों ने प्रिया को पटाने की कोशिश की है परंतु प्रिया ऐसी वैसी लडकी नही थी। प्रिया को पटाना इतना आसान नहीं था। फिर भी हम इतने करीब आये जैसे गर्लफ्रेंड एंड बॉयफ्रेंड हो । अब तो मुझे यकींन भी हो गया कल के किस की वजह से की प्रिया मुझसे प्यार करने लगी है। शायद इस सब की वजह बाबा हो सकते है क्यों की जबसे में हर सोमवार साड़ी पहनकर देवी की पूजा करने लगा तब से मेरा जीवन बदल सा गया है।
” प्रिया तू आंटीजी को क्यो लेके आयी वो भी सोमवार को, अब ये मेरा सीक्रेट उन्हें भी पता चला “
” अरे तू टेंशन मत ले उसका “
” तुम भी हद करती हो प्रिया, मुझे अच्छा नहीं लगा अब तुम्हारी माँ की सामने कौनसा मुँह लेके जाऊंगा “
” क्या यार गीतेश दोस्ती में ये सब चलता है, और रही बात मेरी माँ की तो उन्होंने भी तो तेरी तारीफ़ की “
” हां पता है, वो सब ठीक है और कल दो साड़ीयाँ लेके आनेका क्या मतलब है “
” इसका मतलब ये है की तू साड़ी पहनकर मेरे भाई के शादी में आएगा “
” अरे प्रिया मेरे से ये सब नहीं होने वाला, में सिर्फ अपनी माँ के कहने पर उनकी ख़ुशी के लिए कर रहां हूँ। “
” तो तेरे लिए मेरी ख़ुशी कोई मायने नहीं रखती ?”
” ऐसी बात नहीं है प्रिया तुम बुरा मान रही हो, मैंने आज तक साड़ी पहनकर घर के बहार कदम नहीं रखा है तुम तोह मुझे डायरेक्ट शादी में बुला रही हो, ये सब मैं नहीं कर पाऊंगा, मेरे पास वैसे सब सामान भी नहीं है. . . “
प्रिया ने बिच में मेरी बात काटी ” कोनसा सामान ? “
” तुझे तो पता होगा की साड़ी पे क्या क्या पहनना पड़ता है, परन्तु ये सब मेरे से नहीं होने वाला “
में मेरी खाने की प्लेट रखने जा रहा था प्रिया वही पर बैठी मुझे देख रही थी, प्लेट रखकर में वापस आया तभी प्रिया के चेहरे पर एक अलग ही स्माइल थी।
” क्या तूने पैंटी पहनी है ? “
” नहीं तो, ये क्या सवाल है प्रिया “
” देख झूठ मुझे पसंद नहीं मुझे पता है की तूने पैंटी पहनी है “
” हां पहनी है, तुझे कैसे पता चला ? ” दुसरा कोई पर्याय नहीं था मेरे पास
” तेरे पैंट पर पीछे से पैंटी की आउटलाइन दिख रही है ऊल्लू, आसानी से किसको भी पता चलेगा “
मैं थोड़ा डर गया अब क्या करू यह सोच रहा था।
” तूने पैंटी क्यों पहनी है ? “
” प्रिया वास्तव में जब मैंने पहली बार पैंटी पहनी थी मुझे शरीर कुछ अलग ही महसूस होने लगा था तब से मैं पहनना शुरू किया है “
मैंने प्रिया कहा से की मैं आज आगे के लेक्चर्स नहीं बैठने वाला, फिर प्रिया भी बोली की चलो आज मॉल में चलते है, फिर मैंने प्रिया को मेरा बैग लाने को कहा, मेरी तो उठने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी जबसे प्रिया ने वो पैंटी वाली बात कही अगर किसने देख लिया तो मेरी वाट लग जाएगी। तबतक प्रिया बैग लेके आती है, मैंने अपनी बैग के पट्टे को ऐसा एडजस्ट किया की मेरा पूरा पिछवाड़ा कवर हो जाये। उसके बाद प्रिया और मैं बंक मार के मॉल चले गए। मॉल के अंदर जाने के बाद प्रिया लेडीज फुटवेअर स्टोर में मुझे लेके जाती है। अंदर जाने के बाद हम वह पे बैठते है शॉप से एक महिला हमारे पास आके प्रिया से पूँछ थी है की
” बोलो मैडम क्या लेना पसंद करोगी आप “
” लो हील वाली सैंडल दिखाना “
फिर वो महिला वह से जाती है, वो ४-५ जोड़ी लेके आती है फिर प्रिया से कहती है
” जी ये लो पहनकर देखो “
इसपर प्रिया कहती है की
” मेरे लिए नहीं इसके लिए चाहिए “
वो सुनके मेरी आँखे बड़ी की बड़ी हो जाती है
फिर वो महिला बिना कुछ सवाल किये मुझे कहती है
” जी आपका पैर का साइज क्या है ? “
मैंने ९ कहा, और वो पहले लाये हुए सब सैंडल लेके चली जाती है। फिर मैं प्रिया से कहता हूँ
” ये सब क्या है प्रिया “
” ये सब तेरा सामान है, जो तेरे पास नहीं है “
” परन्तु ये सब महंगा होगा ना “
” तू उसकी चिंता मत कर, बस इतना बता तू मेरे लिए ये सब करेगा क्या नहीं ? “
मेरे पास दूसरा कोई चारा नहीं था
” में कोशिश करूँगा “
तभी प्रिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आती है
” ये हुयी न बात “
तभी वो महिला ४-५ लो हील सैंडल्स लेके आती है और कहती है की
” साइज थोड़ी बड़ी होने के कारन ज्यादा वराइटी नहीं है “
प्रिया ने उनमे से गोल्डन वाली सैंडल चुनी और मुझे ट्राइ करने को कहा, मैंने अपने मेल सैंडल्स निकाल कर पहन ली एकदम परफेक्ट फिट हो रहे थे प्रिया ने बिना कुछ सोचे वो पैक करनेको कहा। वो महिला मेरे तरफ देख कर स्माइल दे रही थी शायद पहली बार उनके शॉप में ऐसा हुआ हो। सैंडल की कीमत ३००० थी प्रिया ने अपने क्रेडिट कार्ड से उसका पेमेंट कर दिया। उसके बाद उसने मेरे लिए मेकअप का सामान और डैंगलिंग वाले झुमके लिए मॉल में उसने मेरे कान छिदवाये वो लोगो ने मेरे कान में स्टड्स दाल दिए। फिर एक बढ़िया विग ख़रिदा पूरी शॉपिंग होने क बाद हम मॉल से निकल पड़े। मेकअप का सामान मैंने अपनी बैग में डाला विग और सैंडल की थैली हाथ में थी। उसके बाद प्रिया ने मुझे घर ड्राप किया जाते जाते कहा की
” तेरे लिए मैंने ब्लैक वाली साड़ी चुनी है और उसका ब्लाउज स्लीवलेस सिलाना “
फिर वो अपने घर चली जाती है। मै सब सामान लेकर घर गया माँ ने मेरे हाथ में सामान देख के चौक जाती है।
” ये सब क्या है गीतेश ? “
माँ ये सब प्रिया ने खरीद के दिया है, वो चाहती है की मैं साड़ी पहन कर उसके भाई के शादी में आउ। मैं उसे मना नहीं कर पाया, और ये देखो उसने मेरे कान भी छिदवाये। “
” अच्छा किया उसने तेरे कान छिदवाये वैसे मैं तुझसे कहने वाली थी। “
” माँ मुझे नहीं लगता की मैं बहार जाकर साड़ी संभाल पाऊंगा या नहीं “
एक काम कर आजसे हर दिन दोपहर को पिताजी आने तक साड़ी पहना कर फिर तुझे आदत हो जायेगी। “
” ठीक है फिर, और एक बात वो २ साड़ियों में से ब्लैक साड़ी मुझे पहनने को कहा है प्रिया ने, और ब्लाउज भी स्लीवलेस सिलाने के लिए कहा है “
” क्या स्लीवलेस ? यहाँ आज तक मैंने कभी स्लीवलेस ब्लाउज नहीं पहना “
” तो फिर आप भी स्लीवलेस ब्लाउज सीलाओ “
” नहीं बाबा नहीं, मेरी स्लीवलेस पहनने की उमर नहीं है, आजकल की लड़कियां भी ना कपडे कम और शरीर ज्यादा दिखाती है, उनकी तरफ देखनेका भी मन नहीं करता “
” माँ वो आज का फैशन है “
” वो छोड़ो क्या आपकी टेलर मुझे स्लीवलेस ब्लाउज सिलाके दे सकती है ? “
” तू एक काम कर किसी अच्छे लेडीज टेलर क पास जाके सिलवा ले “
” अगर लेडीज टेलर की दूकान में जाते किसीने देखा तो ? “
” एक काम कर प्रिया को लेकर जा “
” हाँ में कोशिश करता हूँ “
खाने के बाद मैंने आधा घंटा आराम किया फिर माँ को कहा की मुझे साड़ी पहननी है। फिर माँ ने कहा
” जा मेरे अलमारी से लेले, वहा तेरे नाप के ब्लाउज भी रखे है। “
मैं माँ के अलमारी की तरफ बढ़ा, बोहोत सारी साड़ीयां थी वहा पे मैं उलझन में पड गया इतने सारे रंग देख कर, ये वाली लू क्या वो वाली। १० मिनट लगे मुझे साड़ी चुनने को,
तब तक माँ वहा पे दाखिल हो गयी।
” अब तक साड़ी नहीं चुनी ? “
” हाँ ना समझ नहीं आ रहा की कौनसी पहनू “
” तू तोह अब औरतो जैसा सोचने लगा है “
इस बात पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । आखिरी में मैंने शिफॉन लाल प्लेन साड़ी चुनी और काला ब्लाउज लिया। काले रंग के ब्लाउज कोनसी भी घरेलु साड़ी पर मैच करते है। फिर मैंने माँ को कमरे से बाहर जाने को कहा। ब्लाउज-पेटीकोट-ब्रा पहना उसके बाद मैंने साड़ी पहनना शुरू ही किया तभी मेरा फ़ोन बजने लगा वो प्रिया थी। मैंने साड़ी बांधना छोड़ कर प्रिया का कॉल उठाया।
” खाना खाया ?” प्रिया
” हाँ आधा घंटा हुआ खाना खाके “
” क्या कर रहे हो ? ” प्रिया
” कुछ ख़ास नहीं साड़ी पहन रहा था, तबतक तेरा कॉल आया “
” क्या तू साड़ी पहन रहा है ? “
” हाँ थोड़ी आदत डालनी है, क्योंकी तुने मुझे अपने भैया के शादी में साड़ी पहनकर आने को जो कहा है, अगर साड़ी पहनकर मैं मर्दो वाली चाल में चला तो कोई भी मुझे पहचान लेगा की मैं एक लड़का हूँ “
फिर प्रिया फ़ोन काट देती है, तुरंत उसका वीडियो कॉल आता है। मेंने कॉल उठाया
” मुझे भी देखना है तू कैसे साड़ी पहनता है।”
” ठीक है “
मैं मोबाइल कैमरा टेबल पर सेट करके फ़ोन के सामने खड़ा हो गया। फ़ोन से दूर खड़ा था इसलिए में स्क्रीन पर कुछ देख नहीं पा रहा था। फिर मैंने साड़ी पहनना शुरू किया ४-५ मिनट में मैंने साड़ी पहन ली। साड़ी पहनने में माहिर हो चूका था, उसके बाद मैंने फ़ोन उठाया और स्क्रीन पे देखा तो प्रिया की माँ भी मुझे देख रही थी शायद उन्होंने भी मुझे साड़ी पहनते हुए देख लिया। उस समय दोनों का चेहरा देखने लायक था, आंटीजी ने मुझे पूंछा की
” बेटा साड़ी पहनना किसने सिखाया ? “
” आंटी मेरी माँ ने “
” तुम बोहोत अच्छे तरीके से साड़ी बांध लेते हो “
” थैंक यू आंटीजी “
आंटी फिर चली जाती है। तब प्रिया बोलती है की
” यार इतनी फ़ास्ट और परफेक्ट साड़ी बांधना मेरी माँ को भी नहीं आता “
” वो बात नहीं है प्रिया साड़ी बांधना एक कला है, हर दिन प्रैक्टिस करो तो तुम भी उसमे माहिर हो जाओगी। “
” इसका मतलब तू हर दिन साड़ी पहनता है ना ? “
” नहीं प्रिया मैंने एक सोमवार को बार बार साड़ी पहन कर उतारता रहा क्योकि हर बार मुझे माँ को बुलाना ना पड़े इसीलिए “
” अब क्या करेगा साड़ी में “
” कुछ नहीं अब थोड़ी आदत दाल लेता हूँ, साड़ी में रहन सहन की “
” चल फिर मैं कॉल रखती हूँ, रात को बाते करते है ” स्क्रीन पर किस देते हुए उसने कॉल काट दिया।
उसके बाद मैं और माँ सीरियल देखने लगे। मुझे भी टीव्ही सीरियल दिलचस्प लगने लगी ज्यादा तर मैं सीरियल में औरतो को कम उनकी साड़ीयों को गौर से देखता था, परंतु सीरियल में अधिकतर सभी अभिनेत्रियाँ साड़ी का पल्लू खुला रखते है। मेरी दृष्टिकोण के नुसार कोई भी हाउसवाइफ अपना पल्लू खुला नहीं छोड़ती खुले पल्ले में एक हाथ व्यस्त हो जाता है। शायद सिर्फ फंक्शन में ऐसे तरीके से साड़ी पहनते है। मुझे भी खुले पल्ले की साड़ी पहननी है। में सोच रहा था की प्रिया के भाई के शादी में मैंने ऐसे ही खुले पल्लू वाली साड़ी पहनकर जाऊं।
नया दिन उगता है। पिछली रात मुझे एक ऐसा सपना आया था मेरे तोह होश ही उड़ गए थे, सपने में मैं एक आदमी के साथ दुल्हन की ड्रेस में अग्नि के फेरे ले रहा था। मेरे साथ जन्मो के लिए उसकी बीवी बनाने को तैयार था। मेरा मन मुझे अंदर से लड़की होने का संकेत दे रहा था। ये सब मेरे साथ क्यों हो रहा है ऐसे ख़याल मुझे आने लगे। मुझे कॉलेज भी जाना था, जल्द से नहाकर मैं कॉलेज के लिए निकल गया। प्रिया मेरी कॉलेज की गेट पर इंतजार कर रही थी। मेरे वह आने के बाद प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनों क्लास रूम की तरफ बढ़ने लगे। शायद हम दोनों अब फ्रेंडशीप की सीमा पार कर चुके थे। प्रिया मुझे क्लास में लेक्चर के वक़्त बिच बिच में मुझे गुदगुदी कर रही थी। में उसके रुकने को कह रहा ही था तब तक टीचर ने देखा की हम दोनों मस्ती कर रहे है उसकी वजह से क्लास को परेशानी हो रही है, टीचर ने हम दोनों को चेतावनी दी की फिरसे मस्ती की तोह दोनों को अलग अलग बेंच पर बिठाएगी। प्रिया नहीं चाहती थी की हम दोनों अलग हो जाये फिर चुपचाप से हम दोनों क्लास में ध्यान देने लगे। फिर लंच ब्रेक हुआ हम दोनों कैंटीन चले गए. . .
गीतेश : ” प्रिया एक काम था कल मुझे जल्द में ध्यान नहीं आया “
” कहो क्या काम है ? “
” अरे तेरे पहचान में कोई टेलर है ? जो मेरे लिए तूने दिए हुए साड़ी का ब्लाउज सीलाके दे। “
” तो ये बात है “
” हाँ मेरी माँ की टेलर है उसे स्टाइलिश ब्लाउज सीलाने नहीं आते और मुझे लेडीज टेलर की दूकान में जाने को डर लग रहा है, इसीलिए पुछा की तेरे पहचान में कोई है जो ये कर सकता है “
” हो जायेगा मेरे माँ की सहेली फैशन डिज़ायनर है, मैं भी वही से ब्लाउज सिलाके लेने वाली हूँ, कॉलेज छुटने के बाद अपन जाते है “
” ठीक है मुझे घर से ब्लाउज पीस लेना पड़ेगा “
” कोई ना मेरी स्कूटी है ना “
फिर कॉलेज छूटने के बाद प्रिया और मैं स्कूटी पर बैठकर मेरे घर चले गए। मैं घर जाकर एक थैली में ब्लाउज पीेछे डालकर माँ को कहके निकल जाता हूँ। फिर हम दोनों स्कूटी पर बैठकर प्रिया के घर जाते है वो भी वहा से उसका ब्लाउज पीस लेके आती है और माँ से कहती है की मैं ब्लाउज पीेस सीने के लिए जा रही हूँ।
” ठीक के फिर मैं रंजीता को बता देती हूँ की तू आ रही है ” ( उनके सहेली का नाम रंजीता है )
प्रिया की माँ हमे कार से जाने को कहती है क्योकि प्रिय को एड्रेस पता नहीं था। परन्तु ड्राइवर को पता था की कहा जाना है क्योकि माँ रंजीता के पास ड्राइवर को बोहोत बार लेके जाती है। फिर हम कार में बैठ के निकल जाते है। १५ मिनट में हम वह पहुंच जाते है। रंजीता आंटी शॉप के गेट पर ही हमारा इंतजार कर रही थी। जैसे हम दोनों कार से उतर जाते है वो हमे लेने चली आती है। शायद माँ ने उन्हें सब बताया था की हम वहा क्यू जा रहे है। उन्हें इसके बारे में कल्पना थी। उन्होंने हम अंदर बुलाया बोहोत पॉश शॉप थी, वहा पे सब दुल्हन और फैंसी ड्रेस के डिज़ाइन हर पुतले पर लगे हुए थे। हम वहा उनके सामने बैठ गए, उन्होने हमसे पुछा की
” कुछ ठंडा या गरम लोगे ? “
” प्रिया ने मुझसे पूंछा की तुम कुछ लोगे “
” मुझे कुछ भी चलेगा, मुझे थोड़ी प्यास तो लगी थी “
” ठीक है, २ कोल्ड ड्रिंक चलेगा आंटी, वैसे आंटी ये मेरा फ्रेंड गीतेश है “
” हेलो गीतेश ” आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा
” हेलो आंटीजी ” मैंने रिटर्न में कहा
” दखो मुझे आंटी और आंटीजी मत कहो मुझे रंजीता कहो, मुझे अच्छा नहीं लगता “
तभी प्रिया ने कहा की
” देखिये आप हम से उम्र में बड़ी हो, और बड़ो की इज्जत करना हमारी संस्कृति है, अगर मेरी माँ को पता चला की मैं आपको नाम से बुला रही हु “
” मैं तुम्हारी माँ से बात कर लुंगी “
” ठीक है जैसे आप चाहो ” प्रिया ने कहा
” चलो फिर जिस काम के लिए आये हो वो करके ले ? ” रंजीता
” हाँ मैं भी यही कहने वाली थी “
फिर उन्होंने प्रिया से ब्लाउज पीस माँगा प्रियाने उन्हें देदिया फिर उन्होंने के बुक निकाली जिसमे ब्लाउज के डिज़ाइन की बोहोत सारे तस्वीरें थी प्रिया को कंफ्यूज ही हो गयी। फिर प्रिया ने मेरी राय मांगी, तभी रंजीता ने कहा की बेटा मुझसे पूंछो वो तो लड़का है उसे क्या पता ब्लाउज के बारे में, ठीक है फिर आपही बताओ की कोनसा डिज़ाइन अच्छा लगेगा। फिर प्रिया ने एक डिज़ाइन फाइनल कर दिया।
” रंजीताजी एक और ब्लाउज है ” प्रिया
” ठीक है दिखाओ “
फिर मैं बैग से ब्लाउज पीस निकलता हूँ और उनके हाथ में देता हूँ। ये ब्लाउज पीस थोड़ा प्लेन और अलग टेक्सचर का था। फिर उन्होंने पूंछा की कोनसी डिज़ाइन का सिलाना है। प्रिया ने जवाब दिया की
” डीप बैक स्लीवलेस “
फिर वो प्रिया को नाप लेने के लिए अंदर लेके जाती है ४-५ मिनट के बाद बहार आती है। ठीक है प्रिया दोनों ब्लाउज २ दिन में मिल जायेंगे।
प्रिया ” अरे रंजीताजी, वो दूसरा ब्लाउज इसके लिए है “
ये सुनकर तो रंजीता चौंक गयी।
” प्रिया तुम मजाक कर रही हो क्या ? “
” नहीं में मजाक नहीं कर रही “
” भला एक लड़के को ब्लाउज की जरूरत कबसे पड़ने लगी वो भी स्लीवलेस “
” रंजीता जी आप इस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानती, मुझे लगता है की साड़ी पहनने में ये आपको भी पीछे छोड़ देगा “
प्रिया ने रंजीता जी को चैलेंज किया
” चलो फिर हो जाये “
उन्होंने चैलेंज स्वीकार लिया शायद वो सोच रही होगी की एक मामूली लड़का मुझे कैसे हरा सकता है।
मैं प्रिया को ये सब करने से मना कर रहा था, वो कुछ सुनने को तैयार नहीं थी।
” देख गीतेश मेरे लिए, तुझे कुछ भी करके इन्हे हराना पड़ेगा “
” ठीक है फिर में कोशिश करूँगा “
फिर रंजीता के एक महिला स्टाफ ने मेरे लिए और रंजीता के लिए ब्लाउज, पेटीकोट और साड़ी की व्यवस्था कर दी, फिर हम दोनों ट्रायल रूम में जाके ब्लाउज और पेटीकोट पहनकर आ गए। फिर प्रिया ने काउंटडाउन किया ३. . २. . १. . गो
फिर हम दोनों साड़ी पहनना शुरू किया, मैं साड़ी पहनने में माहिर था परन्तु ऐसे किसी से स्पर्धा करनेका मेरा कोई इरादा नहीं था। करीबन ३ मिनट में मैंने पूरी साड़ी बांधली, और रंजीताजी देखती ही रह गयी। उनके लेडी स्टाफ ने भी अपने मुँह को दोनों हाथो से ढ़क दिया। रंजीता जी ने हार स्वीकार करली, अब वो ये जानना चाहती थी की मैंने इतनी तेजी से साड़ी बांधना कैसे सीखा। उन्होंने मेरी तारीफ़ की मैंने साड़ी इतनी तेजी से और बख़ूबी बाँधी थी। फिर मैंने साड़ी उतार दी उसके बाद अपने रेगुलर कपडे पहनकर बहार आया। फिर बिना कुछ कहे उन्होंने मेरे ब्लाउज का नाप लेलिया। रंजीताजी को जानना था की कैसे में इतनी जल्दी साड़ी पहन लेता हूँ। प्रिया ने उनसे कहा की
” ये लम्बी कहानी है रंजीताजी बादमे कभी, वैसे इन सब का बिल कितना हुआ ? “
” अरे प्रिया उसकी कोई चिंता मत करो, में २ दिन में तुम्हारे घर भिजवादूंगी ” रंजीता
” ठीक है फिर हम निकलते है अब “
फिर हम वहा से निकल गए प्रिया ने ड्राइवर को सीधा मेरे घर की तरफ लेनेको कहा, अब हमारा बाय करनेका तरीका थोड़ा बदल गया था मेरा मतलब प्रिया अब मेरे गाल पर किस करने लगी मैंने अब तक उसे रिटर्न किस नहीं कीया था । फिर में घर चला गया और प्रिया भी अपने घर चली गयी। घर आनेके बाद मैंने माँ से कहा की ब्लाउज सिलाने का काम हो गया प्रिया ने मदत कर दी।
” चलो अच्छा हुआ ” माँ
लगभग दोपहर २ बज गए थे, मैंने खाना खाया और उसके बाद मैंने एक घरेलु साड़ी पहन ली, आज मैंने साड़ी का पल्लू खुला छोड़ा था और प्रिया ने खरीदी हुयी लो हील वाली सैंडल पहन ली, मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी चलने में, मुझे इसकी आदत डालनी थी। २० दिन थे प्रिया के भाई के शादी के लिए, मेरे पास काफी वक़्त था। साड़ी का पल्लू खुला छोड़ने के कारण मेरा एक हाथ पल्लू संभाल ने में व्यस्त रहता था और मुझे थोड़ा थोड़ा पता चल रहा था की चलते वक़्त प्लेट्स को किक करके सामने की तरफ उड़ाने से मुझे चलने में भी कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
पूरे हप्ते यही चल रहा था। हर दोपहर को मैं २ घंटे साड़ी और सैंडल पहनकर बिताने लगा। मेरा धीरे धीरे आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
मुझे हर दिन एक ही विचार आता था की काश मैं लड़की होता। जैसे मेरे शरीर में एक लड़की की आत्मा कैद हो। मुझे अब लड़को की कपड़ो से नफरत होने लगी।
पाँचवा सोमवार आया मेरे लिए कुछ ख़ास नहीं था मुझे अब आदत सी हो गयी थी। पूरा दिन साड़ी में गुजारना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। मुझे अब बहार से भी पूरी लड़की बनाना था। मेरे दिमाग में एक और बात चल रही थी की अगर ये बात प्रिया को पता चली तो क्या वो मुझसे वैसे ही प्यार करेगी या फिर मुझे छोड़ देगी। प्रिया को मैं खोना नहीं चाहता था।
उस दी की घटना के बाद मैं कॉलेज जीन्स ही पहनकर जाने लगा। एक दिन प्रिय मुझे कॉलेज क कैंपस में सुमसान जगह लेके गयी। वो मेरी आँखों में आँखे डालकर देखने लगी मैं उस समय प्रिया से आँखे नहीं मिला पा रहा था। वो धीरे धीरे मेरे करीब आने लगी मैं अपनी जगह डटा रहा, फिर उसने अपने होठों से मेरे होठों को छू लिया मेरा भी खुद पर से नियंत्रण खो कर उसे प्रतिक्रिया करने लगा। किसिंग के दौरान प्रिया ने कहा की,
” मैं तुझसे शादी करना चाहती हूँ गीतेश। “
ये सुन कर मैं रुक गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की उसे क्या कहु
” क्या हुआ गीतेश रुक क्यों गए क्या तुम मेरे से प्यार नहीं करते ? “
” ऐसी बात नहीं है प्रिया, में भी तुमसे बोहोत प्यार करता हूँ पर तुम आमिर खानदान से हो और मैं मिडिल क्लास फॅमिली से तुम्हारे घर वाले राजी नहीं होंगे इस शादी के लिए। और हमारी अब तक उम्र भी नहीं है ये सब सोचने की। “
” तुम मेरे घर वालो का टेंशन मत लो गीतेश, और हम १८+ है अब हमें अधिकार है खुद का जीवन का फैसला लेनेका। “
” हां पर उसके पहले मैं तुम्हे एक बात बताना चाहता हूँ प्रिया “
” कहो फिर “
” देखो प्रिया मुझे अब लड़को के कपड़ो में कोई दिलचस्पी नहीं है, मुझे अब मेरे खुदके कपड़ो में घुटन सी महसूस होने लगती है। मुझे ऐसा लगता है की २४ घंटे में लड़कियों के ही कपडे पहनकर रहू। “
” मुझे लगा ही था, तुम अब क्रॉसड्रेसर हो गए हो “
” ये क्या होगा है प्रिया “
” क्रॉसड्रेसर मतलब खुद के विरुद्ध जेंडर के कपडे पहनना “
” नहीं प्रिया मुझे सिर्फ कपडे ही नहीं मुझे अंदर से लड़की होने की फीलिंग आती है जैसे की मेरे अंदर कोई महिला की आत्मा बसी हो “
” ठीक है फिर मेरे भैया की शादी होने दो फिर इसपर विचार करेंगे
फिर इसके बाद प्रिया ने अपनी बैग से ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज निकला और मुझे दिया। मैंने वो ब्लाउज तुरंत अपनी बैग में डाल दिया फिर प्रिया ने मुझे घर ड्राप किया और वो चली गयी, कहा की वीडियो कॉल करुँगी।
फिर मैं घर गया माँ को वो ब्लाउज दिखाया माँ ने कभी स्लीवलेस ब्लाउज नहीं पहना था। तो उसे थोड़ा अजीब महसूस हो रहा था की उसका बेटा स्लीवलेस ब्लाउज पहनकर प्रिया के भाई के शादी में जाएगा। दोपहर को खाने के बाद मैं वही ब्लाउज और साड़ी पहनली और सैंडल भी डाली, और फिर प्रिया को वीडियो कॉल किया प्रिया ने कॉल उठाया और देखा की मैं वो साड़ी पहनकर एकदम सेक्सी दिख रहा था प्रिया ने मेरी तारीफ की थोड़ी देर बाद हम ने कॉल काट दिया फिर मैंने खुदको घरेलु साड़ी में चेंज किया। किचन में थोड़ा काम था माँ टीव्ही देख रही थी। मैंने किचन का सारा काम निपटा दिया। और माँ के साथ जाके सीरियल देखने लगा।
मैं साड़ी संभाल ने में एक्सपर्ट हो चूका था, कही दिनों से मैं रास्ते में आते जाते औरतो को देख ता रहता था की वो साड़ी पहनकर कब और कैसे खुदकी संभालती है। वो सब देखकर में घर पर प्रैक्टिस करता रहता था माँ को भी इसका कोई अंदाजा नहीं था।
अगले सोमवार को मैं अपने खुदके भविष्य को लेके माँ से बोहोत जरूरी बात करनेवाला था
आज बुधवार प्रिया के भाई का शादी का दिन था। मैं बोहोत उत्साहित था सुबह जल्दी उठ गया पिताजी के नहाने के बाद में नहाने चला गया और माँ से हल्दी बेसन का मिश्रण बदन पर लगाने के लिए माँगा उससे मेरी त्वचा मुलायम और खिल उठती है। उसके बाद पिताजी काम पे चले जाते है, जाते वक़्त माँ उन्हें ताले की दूसरी चाबी देती है और उनसे कहती है,
” शाम की चाय आज खुदसे ही बना लीजियेगा “
उन्हें अंदाजा था की आज माँ और में शादी में जाने वाले है। और मैं कॉलेज के लिए निकल जाता हूँ। कॉलेज में जाके २ लेक्चर बैठता हूँ,पर आज मेरा मन नहीं लग रहा था, मेरा ध्यान कही और ही जगह जा रहा था फिर दूसरे लेक्चर के बाद में घर चला आता हूँ। माँ मुझसे पूँछती
” अरे इतने जल्दी आ गया तू ? “
” मेरा मन नहीं लग रहा था “
” देख तेरे कॉलेज की प्रिंसिपल ने तुझे सोमवार की छूट दी हुयी है “
” अरे माँ अब मेरा मूड मत ख़राब करो “
” अब क्या करेगा घर बैठकर ? “
” कुछ नहीं टीव्ही देखता हूँ “
फिर मैंने टीव्ही चालू किया और सांस बहु की सीरियल देखने लगा। तभी मैंने टीव्ही में देखा की एक कुवारी लड़की सिंपल सी साड़ी में क्या खूबसूरत दिख रही थी, उसने गले में कुछ नहीं पहना था, एक हाथ में चुडिया और दूसरी हाथ में लेडीज वॉच थी और बड़े बड़े झुमके। फिर मैंने सोच लिया की आज मैं ऐसे ही सजके जाऊंगा। उसके बाद मैंने थोड़ा आराम किया। १२ बजे माँ ने मुझे खाने के लिए उठाया। फिर हम दोनों ने खाना खाया। मैंने माँ से पूंछा की
” प्रिया के घर कैसे जायेंगे ? “
माँ बोली ” ऑटो से “
” अरे मैं ऑटो आने तक मैं निचे रोड पर नहीं रुकने वाला “
” तो फिर कैसे जायेंगे ? “
” मैं ऑनलाइन १ कैब बुक देता हूँ, कैब आने के बाद ड्राइवर कॉल करेगा तभी हम घरसे निकल कर तुरंत उसमेँ बैठकर जायेंगे, मैं नहीं चाहता की आसपास से कोई मुझे साड़ी मे देख ले “
” कोई नहीं पहचानेगा तुझे “
” हाँ वो भी बात है परंतु अगर देखा तो क्या होगा “
” तू उसकी फ़िक्र मत कर, मैं सब संभाल लुंगी, चल अब धीरे धीरे तयारी करना चालू कर “
” अभी तो १२.३० ही बजे है “
” फिर भी शुरू कर नहीं तो देर हो जाएगी तुझे पता है ना अब लड़कियों और औरतो को तैयार होने के लिए कितना वक़्त लगता है वो “
” हाँ, औरते और लड़किया लेट क्यों हो जाती है, लड़के तो ५-१० मिनट में तैयार हो जाते है, अब इसका मुझे अनुभव है “
उसके बाद में फिरसे नहाने चला गया, नहाने के बाद मैं ब्लैक नेल पोलिश निकाली और हाथ और पैर के नाखूनों को बखूबी से लगाया बाएं हाथ से लगाने को थोड़ा वक़्त लगा लेकिन मैं कामयाब रहा, १० मिनट लगे मुझे ये सब करने। घडी में देखा १ बज गया था हम ३ बजे तक निकलने वाले थे। अभी भी २ घंटे थे मेरे पास, जब से सोमवार को पूजा करना शुरू किया है तबसे लेक अब तक मैंने अपने बाल नहीं काटे थे, आगे के बाल मेरे नाक तक बढे हुए थे, उस दिन पार्लर के बाद मेरा चेहरा थोड़ा बोहोत लड़की जैसा दिख रहा था। फिर मैंने खुद के बाल सुखाये तब तक नेलपॉलिश भी सुख गयी। आगे मैंने ब्रा-पैंटी पहन ली, उसके बाद काम आवाज करने वाली पायल डाली मैं नहीं चाहता था की बहार चलते वक़्त मेरे पायल की उतनी आवाज हो। पुरे घर में ऐसे ही घूम रहा था तभी माँ ने देख लिया और कहा,
” बेशरम ऐसे कपड़ो में क्यों घूम रहा है, किसीने देखा तो ? “
” कौन देखेगा तुम्हारे आलावा और दरवाजा भी बंद किया हुआ है, एक बेटी को खुदके माँ के सामने क्या शर्माना ” मैंने जान बुझ कर कहा
” फिर भी पेटीकोट तो चढ़ा ले “
” ठीक है “
उसके बाद में फिरसे नहाने चला गया, नहाने के बाद मैं ब्लैक नेल पोलिश निकाली और हाथ और पैर के नाखूनों को बखूबी से लगाया बाएं हाथ से लगाने को थोड़ा वक़्त लगा लेकिन मैं कामयाब रहा, १० मिनट लगे मुझे ये सब करने। घडी में देखा १ बज गया था हम ३ बजे तक निकलने वाले थे। अभी भी २ घंटे थे मेरे पास, जब से सोमवार को पूजा करना शुरू किया है तबसे लेक अब तक मैंने अपने बाल नहीं काटे थे, आगे के बाल मेरे नाक तक बढे हुए थे, उस दिन पार्लर के बाद मेरा चेहरा थोड़ा बोहोत लड़की जैसा दिख रहा था। फिर मैंने खुद के बाल सुखाये तब तक नेलपॉलिश भी सुख गयी। आगे मैंने ब्रा-पैंटी पहन ली, उसके बाद काम आवाज करने वाली पायल डाली मैं नहीं चाहता था की बहार चलते वक़्त मेरे पायल की उतनी आवाज हो। पुरे घर में ऐसे ही घूम रहा था तभी माँ ने देख लिया और कहा,
” बेशरम ऐसे कपड़ो में क्यों घूम रहा है, किसीने देखा तो ? “
” कौन देखेगा तुम्हारे आलावा और दरवाजा भी बंद किया हुआ है, एक बेटी को खुदके माँ के सामने क्या शर्माना ” मैंने जान बुझ कर कहा
” फिर भी पेटीकोट तो चढ़ा ले “
” ठीक है “
उसके बाद मैंने अलमारी से सतिन काले रंग का पेटीकोट निकला ख़ास यही साड़ी के लिए माँ ने मेरे लिए ख़रीदा था नाडा भी पहले से है डाला हुआ था। दोनों पैर मैंने पेटीकोट में डाले और धीरे धीरे ऊपर चढ़ाया, वैक्सिंग की वजह से पेटीकोट का मेरे त्वचा से सीधा घर्षण होने के कारण मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे उसके बाद मैंने पेटीकोट का नाडा कसके टाइट बांधा आज के दिन किसी भी हालत में मेरी साड़ी खुलनी नहीं चाहिए। माँ ने मुझे साड़ी पहनने से पहले मेकअप करनेको कहा, साड़ी काली होने के कारण उसपर दाग लग सकते है। मैं अब ब्रा-पेटीकोट पहनकर मेक उप करने बैठ गया, लगभग ३० मिनट में मैंने पूरा मेकअप कर लिया मैंने एकदम साधारण सा मेक अप किया जैसा आज मैंने टीवी सीरियल में उस लड़की को देखा था। लाल रंग की लिपस्टिक, फाउंडेशन, हलकी आयलाइनर, आयब्रोस थोड़े डार्क किये उसके बाद मैंने काली बिंदी लगाकर खुदके फेस पर मेकअप ज्यादा देर टिके रहनेके लिये स्प्रे का इस्तेमाल किया। मैंने देखा की माँ ने भी तयारी करना शुरू किया था उनकी बादामी रंग की साड़ी थी। माँ को ३० मिनट भी बोहोत है तैयार होने के लिए। पता नहीं मुझे क्यों वक़्त लग रहा था। मैंने पानी भी नहीं पिया था और पीना भी नहीं चाहता था क्यों की पसीना छूट जायेगा। फिर मैंने घडी की और देखा तो २ बज गए थे। मैंने अपना मोबाइल लेकर ऑनलाइन ३ बजे कैब बुक कर दी। उसके बाद बाल सेट करके विग कैप पहनी और नया वाला विग निकला एकदम असली जैसा दिख रहा था। फिर मैंने पहने हुए ब्रा के अंदर कपडे इस्तेमाल करके थोड़ा उभार बनाया, ब्लाउज पहनकर साड़ी पहनना शुरू किया ५ मिनट में मैंने पूरी साड़ी पिन विन लगाकर तैयार हुआ रेडी होने तक मैंने पल्लू खुला नहीं छोड़ा, स्लीवलेस ब्लाउज में मुझे थोड़ा उघड़ा उघड़ा महसूस हो रहा था मैंने उसे नज़रअंदाज़ किया, उसके बाद मैंने स्टड्स निकालकर प्रिया ने लिये हुए झुमके पहने मुझे कांनो में थोड़ा भारी सा लगने लगा, और विग सेट कर दिया उसके बाद मैं आईने के सामने जाके खड़ा हो गया। मुझे खुदके आँखों पर विशवास नहीं हो रहा था मैं आज पहले से भी सुन्दर दिख रहा था शायद प्रिया ठीक कह रही थी पार्लर के बारे में अब मुझे पता चला। तब तक माँ भी तैयार हो गयी। मैं माँ के सामने गया, वो भी मुझे देखकर हैरान हो गयी माँ में
” मेरे गीता को किसीकी नजर ना लगे “
कहकर मेरी नजर उतारी
” तूने हाथ में और गले में कुछ नहीं पहना ? “
” अरे भूल गया परन्तु गले में कुछ नहीं पहनूंगा “
” ऐसे कैसे देख कैसा दिख रहा है “
” नहीं माँ ये फैशन है “
” अब तू कबसे साड़ी पहनकर फैशन करने लगा ? “
” अब बस भी करो माँ “
उसके बाद मैंने रूम में जाकर बाए हाथ में १२ काली चुडिया पहनी और दाहिने हाथ में लेडीज वाच ना होने के कारण फिटनेस वाच पहनी। मैंने खुदपर लेडीज परफ्यूम मारा, तब तक माँ मेरे लिए जूस लेके आती है क्यों की बादमे भूंक न लगे १० मिनट बचे थे। जूस पीकर मैंने सैंडल पहनली और अपने साड़ी का पल्लू खुला छोड़ दिया। माँ ने मुझे कहा की पल्लू खुला न छोड़ने के लिए, मैंने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। हम दोनों तैयार थे तभी कैब ड्राइवर का कॉल आता है।
” सर मैं संजय आपका कैब ड्राइवर आ गया हूँ आप कहा हो “
” हाँ ठीक है २ मिनट में मेंरी माँ और बहन आ रही है “
फिर मैंने माँ से कहा की
” अब कैब ड्राइवर से आगे आपको ही बात करनी पड़ेगी, मैं बात नहीं कर सकता, नहीं वो समझ जायेगा अब से आप मुझे गीता कहके बुलाना “
” ठीक है गीता चलो अब निकलते है “
लेडीज पर्स लेके मैंने दरवाजा खोला आजु बाजु देखा कोई नहीं था मैं कैब की और बढ़ा और माँ दरवाजा लॉक करके पिछेसे आ रही थी, मैं कैब के सामने जाके खड़ा हुआ, माँ पीछे से आयी
” क्या तुम्हारा नाम संजय है क्या ? “
” हाँ जी, आ जाईए “
हम दोनों पीछे की सीट पर बैठ जाते है। २० मिनट में हम प्रिया के घर पहुँच जाते है। माँ कैब ड्राइवर को पैसे दे देदी है। माँ प्रिया का सजा हुआ आलिशान घर देख कर आश्चर्य चकित हो जाती है,
” क्या ये प्रिया का घर है ? ” माँ
” हाँ माँ आजाओ अब अंदर चलते है “
शायद माँ को बिजली का बड़ा झटका लगा होगा जैसे मुझे पहली बार लगा था। वह पे देखा तो बोहोत सारे मेहमान आये हुए थे हम उनके बिच से गुजर कर अंदर चले जाते है। मुझे प्रिया की माँ दिख जाती है, फिर मैं माँ को लेकर उनकी तरफ बढ़ते है थोड़ा नजदीक जाने के बाद वो हमे पहचान लेती है। और कहती है
” संध्या जी आओ आओ आपका स्वागत है और तुम भी आओ गीतेस्स्स्सस्स्स्स गीता “
शायद आंटी को परिस्थिति पता चली की मैं लड़की की भेस में हूँ वो मुझे गीतेश ही पुकारने वाली थी, मैं उन्हें धीरे से बोला की
” हां आंटीजी मुझे आज गीता ही कहके बुलाओ “
” बड़ी सुन्दर दिख रही हो गीता “
” थैंक्स जी “
” जाओ प्रिया तेरी कबसे राह देख रही है “
फिर मैंने माँ को बाजु में एक कुर्सी पर बिठाया और मैं गीता की कमरे की और बढ़ रहा था, वह पे मौजूद कही औरते मेरी और देख रही थी। मैं निचे सर झुकाकर महिला वाली चाल में चल रहा था मैंने इतने दिन से की हुयी प्रैक्टिस रंग ला रही थी। अभी में सीढ़ियों के सामने आ गया फिर मैंने दाहिने हाथ से साड़ी की प्लीट्स पकड़ कर चढ़ने लगा सीढिया चढ़ने के बाद मैंने साड़ी एडजस्ट करि और प्रिया का दरवाजे पर खटखटाया, प्रिया अंदर ही थी
” कौन है ? “
मैंने कुछ नहीं कहा बल्कि फिरसे दरवाजा खटखटाया
” कौन है मुझे तैयार भी होने नहीं देते ” प्रिया अंदर से चिल्लाते हिये दरवाजा खोलती है और मुझे देखती है, मुझे देख कर उसके चेहरे का पूरा गुस्सा उतर जाता है
” अरे गीता तू है आ अंदर “
फिर मैं अंदर जाता हूँ देखता हु की प्रिय के रूम में कोई नहीं है फिर उसके बाद ही बाते करना चालू करता हु
” अरे क्या अब तक तैयार नहीं हुयी तू ? “
” लगभग हो गयी हु “
उसने गोल्ड बॉर्डर वाली पैरेट ग्रीन कलर की साड़ी पहनी थी, स्टाइलिश ब्लाउज के साथ हाथ में २-३ गोल्ड की चुडिया सीधे से बाल, गले में गोल्ड चेन और हल्का सा मेकअप। मैंने पूंछा
” अरे प्रिय तूने मेहंदी नहीं लगायी “
” नहीं “
” खुद के भाई की शादी मैं कोनसी बहन मेहंदी लगवाना नहीं चाहेगी “
” माँ ने मुझे कहा था परंतु मुझे ये सब पसंद नहीं है, मुझे मेहंदी का स्मेल अच्छा नहीं लगता और सिर्फ माँ के कहने पर मैंने आज साड़ी पहनी है मुझसे नहीं संभाली जाती “
” मैं हूँ ना “
“‘ वैसे तु बोहोत सेक्सी दिख रहा है एकदम बढ़िया “
” तू भी सेक्सी दिख रही है ऐसे ही कपडे पहना कर “
फिर हम दोनों निचे चले जाते है सब मेहमान वह वौजुद थे। मैं प्रिया को माँ के पास लेके जाता हूँ। हम दोनों सिर्फ प्रिया और उसकी माँ को ही जानते है। फिर मैं माँ को हम दोनों के एक फोटो खींच ने को कहाता हूँ। थोड़ा बाजु में आके प्रिया और मैं एक पोज़ देके फोटो निकालते है।
उसके बाद बैंड-बाजा बजने लगता है बारात निकलती है वहा पे कई लोग नाचने लग जाते है प्रिया मुझे कहती है चल नाचते है मैंने प्रिया को मना किया। मुझे भी नाचने का मन कर रहा था परन्तु परिस्थिती वैसी नहीं थी। प्रिया नाचने चली गयी १५ मिनट के बाद सब बाराती गाड़ियों में बैठ गए प्रिया मेरे पास आयी और मुझे और माँ लेकर एक गाडी के पास जाकर उसमे बैठने को कहा। प्रिया ने खुदके लिए कर हमारे लिए अलग गाड़ी की व्यवस्था की हुयी थी जिसने बैठकर हम शादी वाले जगह चले गए। हम वह पे उतरकर फिर से १० मिनट के लिए बाराती नाचने लगे लगभग ५.३० बजे थे शादी का मुहूरत हो रहा था, प्रिया ने मुझे स्टेज पर आने को कहा फिर मैं माँ को स्टेज क नजदीक बिठाकर स्टेज पर प्रिय के साथ चला गया वह प्रिया के सारे रिश्तेदार मौजूद थे वो मुझे घूर कर देख रहे थे, मेरी किसीसे भी आँखे मिलाने के हिम्मत नहीं हो रही थी। १० मिनट में शादी सम्पन्न हुयी, प्रिया के १ रिश्तेदार ने प्रिया से पूंछा की
” ये कोण है प्रिया बेटा “
” ये मेरी कॉलेज की सहेली गीता है “
फिर उन्होंने मेरे और देखकर
” बोहोत सुंदर दिख रही हो बेटा “
मैंने बिना कुछ कहे उन्हें अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करके इशारो से धन्यवाद किया
फिर प्रिया और मैंने स्टेज से निचे आते है। हम दोनों माँ के बाजू में आके बैठ जाते है। मैंने अब तक दुल्हन और दूल्हे को ठीक नहीं देखा था। आइसक्रीम खाते खाते हम दोनों बाते करते है
” यार गीता कितने अच्छे से तू साड़ी संभाल लेती हो वो भी खुले पल्ले की और तेरी चाल भी किसी औरत से कम नहीं है, ये सब कैसे कर लेती हो, मुझे से तो एक दुपट्टा भी नहीं संभाला जाता, अब मुझे इस साड़ी में भी घुटन सी हो रही है, ऐसा लग रहा है की अभी जाके शर्ट पेन्ट पहनकर आउ “
” कुछ नहीं प्रिया सब आसान है तुझे इसकी आदत नहीं है ना इसिलिये “
” क्या तू पूरी जिंदगी साड़ी पहनकर गुजर सकते हो ? “
मैं इस सवाल से थोड़ा कंफ्यूज हो गया पर मैंने कहा
” शायद ” मैंने धीमी आवाज में प्रिया से कहा माँ सुन ना ले
” सच ? ” प्रिया ने थोड़ा चीख कर
” चल थोड़ी बाजू में जाके बात करते है ” मैंने प्रिया से कहा
फिर हम दोनों पीछे चले जाते है वह बैठा कर बाते करते है
” प्रिया मैं तुम्हे मेरा १ सीक्रेट बताना चाहता हूँ “
” ठीक है बताओ फिर “
” शायद मुझे ऐसा लगता है की आगे की जिंदगी औरत बनकर गुजारने को अच्छा लगेगा “
ये सुनकर प्रिया सरप्राइज हो गयी फिर उसने मुझे कहा की
” मेरा भी १ सीक्रेट है जो मैंने आज तक किसीको नहीं बताया “
” क्या प्रिया “
” मुझे भी लड़कीया पसंद है मैं लड़को की तरफ आकर्षित नहीं होती, मुझे लगता है की मैं एक लेस्बियन हूँ, जबसे मैंने तुझे साड़ी में देखा है तबसे में तेरी प्यार में पड गयी हूँ , गीता will you marry me ? ( क्या तुम मुझसे शादी करोगी ? ) “
प्रिया ने मुझे प्रोपोज़ किया मेरी आँखों से आंसू आने लगे,
” yes i will do ” ( हाँ में करुँगी )
फिर प्रिया ने मुझे गले लगाया और मेरे गाल पर किस करदी। हम दोनों क्या प्यार और बढ़ गया।
” प्रिया क्या ऐसा हो सकता है “
” वो सब बादमे देखते है गीता अब ये शादी होने दो, कुछ हल निकालेंगे “
फिर उसके बाद हम दोनों माँ के बाजू मैं बैठ गए। बैठे बैठे समय बीतने लगा।
हमने खाना खाया करीबन ८ बज चुके थे, माँ थोड़ी विचलित होने लगी
” बेटा देर हो रही है “
मैंने प्रिया से कहा
“माँ को घर जाना है, मुझे भी निकलना पड़ेगा “
” तू क्यों जा रहा है रुक न मेरे पास “
“ माँ को पूछना पड़ेगा “
तभी प्रिया मेरी माँ से बात करती है
” आंटीजी गीता को मेरे साथ रहने दो ना मैं उसे घर तक छोड़ दूंगी “
” ठीक है बेटा मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है इसके पापा राह देख रहे होंगे ना “
” मैं ड्राइवर को आपको घर तक छोड़ने को कहती हूँ और गीता को भी ड्राप कर दूंगी आप चिंता ना करो “
फिर प्रिया ड्राइवर को कॉल लगाके बुलाती है हम दोनों माँ को कार में बिठाकर ड्राइवर को एड्रेस दे कर गेट से अंदर आते है उसी समय हमारी मुलाकात कॉलेज की प्रिंसिपल महोदया से होती है
” अरे प्रिया कैसी हो “
” अच्छी हूँ “
” सुन्दर दिख रही हो साड़ी में “
” थैंक्स मैडम “
” और ये कौन है तुम्हारे साथ “
मैं थोड़ा अँधेरे में खड़ा था जैसे वो मुझे जानने को इच्छुक होती है में लाइट में आता हूँ, वो थोड़ी कंफ्यूज होके मुझे गौर से देख कर पता चलता है की
” अरे ये तो गीतेश है “
प्रिया ” मैम थोड़ा धीरे से कहो और उसे गीता कहकर बुलाओ “
” सॉरी बेटा मुझे माफ़ करो “
प्रिंसिपल मैडम ने मेरी बोहोत तारीफ की, उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था मैं ऐसे प्रिया के भाई के शादी में आऊंगा। मैंने उन्हें बताया की प्रिया में मुझे मजबूर किया ऐसे आनेको। वो मुझे स्लीवलेस ब्लाउज के बारे में भी पूंछने लगी फिर मैंने भी कहा की ये भी प्रिया ने किया है। उसके बाद उन्होंने हम दोनों से अलविदा कहा की वो निकल गयी। फिर हम दोनों अंदर आते है।
हम दोनों वही पीछे खड़े होकर देख रहे थे की अब क्या करे, तभी प्रिया मुझे उसके पीछे आने को कहती है, प्रिया मुझे जहा लेके गयी वहा पे २ औरते बैठी हुयी थी, जब मैंने उन्हें सामने से देखा तो वो रंजीता और उसके यहाँ की महिला स्टाफ थी जिसने मेरे लिए स्लीवलेस ब्लाउज सिलाया था। फिर प्रिया उसके सामने जाती है वो प्रिया के साड़ी की तारीफ़ करती है। उसके बाद प्रिया उसने मेरा परिचय कराती है।
” रंजीता जी इससे मिलो ये मेरी सहेली गीता है “
रंजीता ने मुझे तुरंत पहचान लिया क्योकि उन्होंने सिलाया हुवा ब्लाउज जो मैंने पहना था। रंजीता को खुद की आँखों पे यकींन ही नहीं हो रहा था उसके आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी मुझे ऐसे देखकर।
” गीता कितनी ख़ूबसूरत लग रही हो साड़ी मैं वो भी खुले पल्ले की साड़ी पहनी है “
मैंने रंजीता को थैंक यू कहा। फिर प्रिया की माँ ने फॅमिली फोटोसेशन के लिए बुलाया फिर हम दोनों वहा से चले गए। वह पे दूल्हे दुल्हन के साथ उनका फॅमिली फोटोशूट हुआ। मैं वही निचे खड़ा देख रहा था, फिर प्रिया निचे आके मेरा हाथ पकड़ कर स्टेज पर लेके जाती है। उस समय मुझे शरम आ रही थी फिर प्रिया ने गीता नाम से मेरा परिचय उसके भैया और नयी भाभी से किया। फिर हमने फोटो खींची और हम दोनों निचे चले आये। दुल्हन बोहोत खुबसुरत दिख रही थी, मेरा भी एक सपना है दुल्हन के तरह सजनेका। फिर सब परिवार ने दुल्हन दूल्हे के साथ खाना खाया उसमें मैं भी बिठा था। फिर बिदाई का वक़्त हुआ। एक जगह दुल्हन का परिवार रो रहा था दूसरी तरफ बाराती डांस कर रहे थे। तभी प्रिया ने मुझे भी डांस करने लिए खींच लिया। अब मेरी माँ वहां ना होने के कारण मैं भी अपनी पतली कमर हिलाकर डांस करने लगा। प्रिया मुझे चिपक चिपक के डांस कर रही थी। वहां प्रिया की माँ को छोड़कर और किसीको नहीं पता था की मैं लड़का हूँ। मैं भी प्रिया के साथ डांस करने लगा फिर मेरी नजर प्रिया के माँ के यहाँ जाती है फिर मैं थोड़ा धीमा हो ता हूँ। मुझे लगा की उन्हें अच्छा नहीं लगा फिर वो मेरे पास आती है,
” अरे गीता रुक क्यों गयी नाचो “
फिर मैं फिर से उत्साह में डांस करने लगा करीबन आधा घंटा हमने डांस किया फिर मुझे ऐसा लगा की मेरा विग गिरने वाला है। उसके बाद में रुक जाता हूँ प्रिया मुझे पूंछती है की रुक क्यों गयी। मैं उसे विग के बारे में बता देता हूँ। वो भी डांस करना रुक जाती है,
” तू क्यों रुक गयी कर ना डांस “
” मेरा भी मन नहीं है अब डांस करनेका “
फिर वह से निकलने का समय होता है। ११ बज चुके थे मैंने प्रिया से कहा की
” अब मुझे घर जाना पड़ेगा सीधा ये विग संभाला नहीं जायेगा फिसल रहा है “
प्रिया अपनी माँ से
” मम्मी में गीता को घर ड्राप करके आउंगी “
” और किसको भेजू तेरा साथ “
” नहीं हम चले जायेंगे “
फिर प्रिया और में वही कार में बैठकर ड्राइवर को सीधा मेरे घर की और लेने को कहती है। मैं कार में जाते वक़्त चुडिया और पायल निकाल लेता हूँ। अपनी पर्स में डाल देता हूँ घर जाते वक़्त आवाज ना जी इसलिए। ११.३० हम मेरे घर पहुँच जाते है फिर में प्रिया को अलविदा कहकर घर की और निकल जाता हूँ। प्रिया से कहता हूँ
” घर पहुंचने के बाद मुझे मेसेज नहीं तो कॉल करना “
पूरा इलाका सामसुम था और मेरी सैंडल की हील्स टूक टूक आवाज कर रही थी मैं वो भी उतार कर हाथ में लेके चलने लगा फिर घर के बहार दरवाजे पर सुना की कोई अंदर टीव्ही देख रहा है मैं बेल नहीं बजायी मैंने ३ बार दरवाजे पर दस्तक दि माँ को पता चला की मैं आया हूँ, कभी कबार मैं इसी तरह से दरवाजा खटखटाता हूँ। माँ दरवाजा खोलती है मैं अंदर जाता हूँ।
” पिताजी ? “
” वो सो गए “
” चलो अच्छी बात है “
फिर मैं तुरंत विग साड़ी ब्लाउज ब्रा मेकअप उतार लेता हूँ तभी मेरा फ़ोन वायब्रेट होता है मैं चेक करता हूँ वो प्रिया को मेसेज था की वो घर पहुँच गयी। में उसे रिप्लाई देता हूँ की ठीक है करके। उसकेबाद शॉर्ट्स पहनकर सोने चला जाता हूँ। जैसे आज का दिन पूरा सपने जैसा गया फिर मुझे तुरंत नींद आती है।
अगले दिन की सुबह हो गयी मैं अब तक कल के बारे में सोच रहा था की प्रिया के भाई की शादी का अनुभव मेरे लिए तो एक सपने जैसा था। मुझे पूरी स्वतंत्रता से साड़ी पहनकर बहार सवंरने को मिला ये सब प्रिया की वजह से हुआ। अब प्रिया भी मुझसे बोहोत प्यार करती है। मैं भी उसे बोहोत चाहता हूँ। कल प्रिया ने जब मुझे शादी के लिए पूंछा तो मेरी आँखों में ख़ुशी से आंसू आने लगे शायद प्रिया ही है जो मुझे समझ सकती है।
अब प्रिया और में ऐसी उलझन में पड़ गए की ये बात हम दोनों हमारे परिवार को कैसे बताये। हम दोनों एक दूसरे के साथ हद से ज्यादा समय गुजराने लगे। माँ भी मुझे देखती थी की मैं कुछ ज्यादा वक़्त फ़ोन पर बाते करके घला रहा था। देखते देखते १० सोमवार बीत गए १ आखरी सोमवार बचा था मेरे बाल भी अब थोड़े बड़े हो चुके थे माँ मुझे बाल काटने को कह रही थी की तुझपर अच्छे नहीं दिखते। मैंने उनकी एक बात नहीं सुनी मैंने ठान लिया था की चाहे कुछ भी होजाये मैं अपने बाल नहीं काटूंगा। मैंने माँ से डर के मारे अब तक नहीं बताया था की मुझे आगे लड़की बनके जीना है।
आखरी सोमवार आने से पहले मैं प्रिया से मिलकर
” प्रिया अब क्या करे ? “
” करना क्या है हम भागके शादी करेंगे मैं पैसो का इंतजाम कर लुंगी “
” नहीं प्रिया मुझे ये भागने का आईडिया अच्छा नहीं लग रहा “
” मेरे घरवाले ये शादी से खुश नहीं होंगे ” प्रिया
” अरे प्रिया मुझे लगता है की तेरी माँ समझदार है तुझे उनसे सब सच बताना चाहिए “
” नहीं गीतेश मुझे नहीं लगता “
” एक बार कोशिश तो करके देखते है, नहीं तोह भाग जायेंगे वैसे भी हमारी उम्र क्या है ये सब करने की, अभी तोह हम दोनों सिर्फ १८ सालके है, मुझे लगता है की तुम अपनी माँ से बात करो मैं मेरी माँ से बात करूँगा, जो होगा वो देखा जायेगा “
” मुझे डर लग रहा है, ये सब मेरे से नहीं होगा, तू भी मेरे साथ चल “
” ठीक है फिर चलो “
वहा मैं भी डरा हुआ था, क्यों की मेरी हैसियत ही नहीं थी प्रिया से शादी करनेकी, परन्तु प्यार अंधा होता है। फिर हम दोनों प्रिया के स्कूटी पर बैठकर प्रिया के घर चले गए।
हम प्रिया के बैडरूम में बैठे हुए थे प्रिया ने माँ को उसके कमरे में आने को कहा था। करीबन १० मिनट में प्रिया की माँ कविताजी वहा आ जाती है। तभी प्रिया माँ को अपने पास बैठने को कहती है। उसके माँ उसकी बाजु में बैठ जाती है, मैं उस समय साइड वाली खुर्सी पर बैठा हुआ था।
” बोलो प्रिया बेटा क्या कहना था ? “
प्रिया तो पुतले की तरह बैठी हुयी थी, प्रिया की माँ फिरसे
” कुछ हुआ क्या कॉलेज में ? “
तभी प्रिया मेरी तरफ देखती है, ऐसा लग रहा था की वो मुझे कहने को कह रही है, परंतु ये बात अपनी माँ को बताना बोहोत बड़ी बात है, मैंने चाहता था की प्रिया खुद ये बात अपनी माँ से कहे, अचानक से प्रिया की आँखों से पानी टपकने लगता है, मुझे समझ आ रहा था की उसकी अब क्या स्तिथी होगी। प्रिया
” माँ पहले आप मेरी कसम खाओ की ये बात आप किसीको नहीं बताओगे “
” ठीक है ऐसे रो मत बेटा मुझे ठीक से बताओ आखिर हुआ क्या है ? “
” माँ मैं लेस्बियन हूँ, मुझे लड़को में कोई दिलचस्पी नहीं है, परन्तु जब से मैंने गीतेश को साड़ी में देखा है तबसे मैं उससे प्यार करने लगी हूँ, मैं गीतेश के साथ शादी करना चाहती हूँ “
ये सुनकर उन्हें शॉक तो लगा ऐसा उनके चेहरे पर नहीं दिख रहा था। उसके बाद प्रिया की माँ मेरी और देख कर
” क्या गीतेश तुम भी प्रिया से प्यार करते हो ? “
” मुझे माफ़ करदो आंटीजी पर हां मैं भी प्रिया को बोहोत चाहता हूँ, हम तो भागने की सोच रहे थे, मुझे लगा की १ बार घरवालों से बात करते है “
” अरे ऐसे-कैसे सोच सकते हो तुम दोनों अपने माता-पिता के साथ, क्या यही दिन देखने के लिए माँ-बाप अपने बच्चो को बड़ा करते है, और क्या १८ साल की उम्र में भागकर क्या करने वाले थे, तुम दोनों चिंता मत करो में तुम दोनों के साथ हु। “
फिर हम तीनो ने सब एक दूसरे के साथ बाते की और आखरी में ऐसा निष्कर्ष निकला की, मैं प्रिया से शादी करूँगा परन्तु इस शादी में मैं दुल्हन की जगह हूँगा और प्रिया दूल्हे की जगह, मैं इस बात पर सहमत था मैं अपना घर छोड़ कर सात जन्मो के लिए प्रिया की पत्नी बनूँगा। मुझे आगे का जीवन औरत बनके गुजरना था इसिलिये। फिर यह बात यही पर ख़तम हुयी प्रिया खुश हो गयी। ख़ुशी से प्रिया में अपनी माँ को प्यार की झप्पी लगायी उसके बाद मुझे भी उसके गले लगाया।
” अब तो खुश है ना गीतेश “
” हां वो तो हूँ, मेरी भी घर पे बात करनी होगी ना ! “
तो प्रिया की माँ, प्रिया और मैं हम तीनो ने मिलकर एक योजना बनायीं। फिर हम तीनो आखरी सोमवार आने का इंतजार कर रहे थे। में देवी माँ से प्रार्थना कर रहा था की मेरी ये इच्छा पूरी हो जाये।
फिर आखरी सोमवार को पूजा होने के बाद दोपहर को माँ और मैं टीव्ही देख रहे थे। फिर घर की घंटी बज जाती है। मैं इस दिन बिना डरे घर का दरवाजा खोल देता हूँ। मेरे सामने प्रिया और उसकी माँ खड़ी थी मैं उनको अंदर आनेको कहा, माँ भी हड़बड़ी में उठकर कड़ी हुयी, और
” कविता जी यहाँ पे कैसे आना हुआ आईये बैठिये “
दरवाजा बंद करके मैं माँ के पीछे जाके खड़ा हो गया, कविता
” हांजी एक काम के सिलसिले में आपसे बात करनी थी “
” बोलो जी, गीता बेटा जा जरा दो गिलास पानी तो लेके आ “
फिर मैं किचन में जाकर पानी देकर फिरसे वही खडा हो जाता हूँ , कविता
” जी बच्चो के भविष्य के बारे में बात करनी थी आपसे “
” जी समझी नहीं मैं आप क्या कहना चाहती हो “
” ठीक है मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूँगी, प्रिया और गीतेश एक दूसरे से प्यार करते है “
वो बात ने माँ को चौका दिया माँ सोच में पड गयी,
फिर से कविता जी
” जी इस बात पर क्या कहना है आपका “
” जी मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा, हमारी उतनी हैसियत नहीं है जो आपकी बेटी की शादी हमारे लड़के से हो, वो हमारे छोटेसे घर में कैसे रह पायेगी “
” रुको जी आपको एक और बात बतानी है, मेरी बेटी प्रिया गीता से प्यार करती है गीतेश से नहीं “
” मुझे समझा नहीं जी “
” जी आपकी बेटी गीता शादी करके हमारे घर मेरी बहु बनकर आएगी “
” मुझे माफ़ करो जी परंतु ये कैसे हो सकता है “
” क्यों नहीं हो सकता आपकी बेटी भी आगे की पूरी जिंदगी ऐसे ही बिताना चाहती है “
उसके बाद माँ ने मेरी और देखा फिर मैंने अपना सर निचे झुका दिया, उनको मेरा इशारा समझ आया। परंतु उस समय माँ ने मेरे से कुछ नहीं कहा।
कविता जी,
” देखिये संध्या जी जरा ठंडे दिमाग से सोचिये, ये दोनों भागने की तैयारी में थे आपकी गीता ने हिम्मत करके प्रिया को मुझ से बात करनेको कहा, नहीं तो पता नहीं दोनों क्या कर बैठते। “
” ठीक है जी मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक़्त दीजिये, इस समय मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। “
” कोई बात नहीं है जी, में आपकी स्तिथी समझ सकती हूँ। “
यही बात करके प्रिया और कविता आंटी वह से चली गयी। उनके जाने के बाद माँ मुझे बैडरूम में लेके आती है।
” गीतेश मुझे मजाक पसंद नहीं है, क्या वो प्रिया की माँ कह रही थी वो सच है ? “
” हाँ माँ, मुझे अब आगे की जिंदगी ऐसे ही बीतनी है “
” क्या पागल हो गया है क्या तू, तुझे पता है तू क्या कह रहा है ? “
” माँ मुझे नहीं पता हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते है, और एक दूसरे क बिना नहीं रह पायेंगे, ऐसे घर से भागकर आपका मन दुखाने ने का मेरा कोई मकसद नहीं है, जो है सब आपके सामने है। “
” बेटा औरत बनकर जिंदगी गुजारना कोई आसान बात नहीं है, ऊपर से वो कह रही थी की तू उनके घर की बहु बनेगा “
माँ और मुझमे इस बात को लेकर बोहोत बहस हुयी अगर पापा को ये बात पता चली तो घर पर आसमान टूट जायेगा। वैसे आज आखरी सोमवार था आज के दिन मैंने देवी माँ से कहा था की ये मेरी इच्छा पूरी होजाये।


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